योगी सरकार लखनऊ में स्टार्टअप हब बनाने की कोशिश में जुट गई है. (फाइल फोटो)
लखनऊ. कोरोना वायरस (COVID-19) के संकट को देखते हुए योगी सरकार (Yogi Government) ने राज्य कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (DA) में होने वाली छमाही बढ़ोत्तरी पर रोक लगा दी है. ये रोक अगली 3 बढ़ोत्तरी तक जारी रहेगी. यानी जनवरी 2020, जुलाई 2020 और जनवरी 2021 में भत्ते में कोई भी वृद्धि नहीं की जाएगी. वित्त विभाग ने इस सम्बन्ध में शासनादेश जारी कर दिया है. इसके साथ ही अब महंगाई भत्ते में बढ़ोत्तरी अगले साल जुलाई के महीने में ही की जाएगी. केंद्र सरकार के बाद अब यूपी सरकार ने भी भत्ते में वृद्धि रोक दी है.
इन 6 भत्तों पर पूरी तरह रोक
इसके अलावा सरकार ने कर्मचारियों को मिलने वाले 6 भत्तों को पूरी तरह रोक दिया है. इनमें सचिवालय भत्ता, नगर प्रतिकर भत्ता, पीडब्ल्यूडी में रिसर्च अर्दली डिजाइन भत्ता, सिंचाई विभाग मेंं आईएंडपी और अर्दली भत्ता, पुलिस विभाग में मिलने विशेष वेतन पर रोक लगा दी है. ये रोक 31 मार्च, 2021 तक लागू रहेगी. दरअसल इन भत्तों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं होती है, ये फिक्स होते हैं और कुछ विशेष श्रेणी के कर्मचारियों को ही मिलते हैं.
साल में दो बार बढ़ता रहा है महंगाई भत्ता
बता दें कि सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाला महंगाई भत्ता साल में दो बार सरकार बढ़ाती है. पहली वृद्धि जनवरी, दूसरी जुलाई में की जाती है. ये वृद्धि 3 से 5 फीसदी तक की जाती है. इसी वृद्धि को सरकार ने जून, 2021 तक रोक दिया है. यानी कुल 3 वृद्धि का लाभ कर्मियों को नहीं मिल पायेगा. महंगाई भत्ता कर्मचारियों की बेसिक सैलरी का 17 फीसदी होता है.
केंद्र सरकार पहले ही जारी कर चुकी है आदेश
बता दें केंद्र सरकार ने 23 अप्रैल को जो इस बाबत आदेश जारी किया है, उसके मुताबिक 30 जून 2021 तक महंगाई भत्ते में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की जाएगी. जाहिर है उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को भी सरकार नहीं बढ़ाएगी. यानी कुल तीन बढ़ोत्तरी पर ब्रेक. इस बीच के समय के एरियर का भी भुगतान नहीं किया जायेगा. हालांकि केंद्र ने ये आश्वासन जरूर दिया है कि जब भी महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की जाएगीगी, उस समय कर्मचारियों को हुए नुकसान का ध्यान रखा जायेगा.
कितना होगा एक कर्मचारी को नुकसान
राज्य सरकार के इस फैसले से सभी कर्मचारियों पर असर पड़ेगा. महंगाई भत्ता किसी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 17 फ़ीसदी होता है. इसमें साल में दो बार राज्य सरकार बढ़ोतरी करती बार राज्य सरकार बढ़ोतरी करती है. बढ़ोतरी का दर 3 से 5 फ़ीसदी तक रहता है. ऐसे में आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी कर्मचारी को कितना नुकसान होगा.
कोरोना संक्रमण के कारण लिया गया फैसला
राज्य सरकार के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को न बढ़ाने के पीछे कोरोना वायरस के मौजूदा संकट का हवाला दिया गया है. इस संकट से निपटने के लिए की जाने वाली तैयारी के लिए बड़े पैमाने पर धनराशि की सरकारों को जरूरत है.
इनपुट: अजीत सिंह/मनीष कुमार
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