(सांकेतिक तस्वीर)
लखनऊ. सिविक सेंस (Civic Sense) इसके बारे में बातें तो बहुत होती हैं लेकिन, इस पर अमल बहुत होता है. लोगों में सिविक सेंस डेवलप करने और इंसान की तरह व्यवहार करने की नसीहत सरकारों को देनी पड़ती है. यहां तक कि लोगों से सही व्यवहार करने के लिए उन पर जुर्माना (Penalty) तक लगाना पड़ता है. तो आईये आज विस्तार से जानते हैं कि कौन-कौन सी हमारी आदतें, समाज के लिए बुरी मानी जाती हैं और उन्हें रोकने के लिए सरकार को कितना जुर्माना लगाना पड़ता है?
सबसे पहले बात सड़क पर चलने की और वो भी गाड़ी से. सबसे ज्यादा मनमानी इसी काम में देखने को मिलती है. स्टेयरिंग पकड़ना आ गया तो बस गाड़ी लेकर निकल पड़े लेकिन, सड़क पर निकलने से पहले जान लीजिए कि यदि कोई गलती हुई तो इसके कड़े नतीजे भुगतने पड़ते हैं.
मोटर व्हीकल एक्ट में बकायदा बताया गया है कि 14 साल से कम उम्र के बच्चों को गाड़ी में कैसे लेकर जाना है. एक्ट के मुताबिक बच्चों को या तो सीट बेल्ट से बांधना चाहिए या फिर सीट पर बाल सुरक्षा प्रणाली लगानी चाहिए. ये नहीं कि बच्चों को गाड़ी में बिठाया और यूं ही लेकर चल पड़े. यदि बिना सीट बेल्ट लगाये या सुरक्षा प्रणाली (चाइल्ड कार सीट) के बच्चों को गाड़ी में लेकर चल रहे हैं तो पुलिस 1000 रूपये का चालान काट सकती है. इसी नियम में ये भी व्यवस्था है कि यदि खुद सीट बेल्ट न लगाया गया हो तो 1000 रूपये का चालान काटा जायेगा.
– बिना हेलमेट के बाइक चलाने पर भी इतना ही जुर्माना देना होता है.
– मोटरसाइकिल पर ट्रिपलिंग करने पर भी 1000 रूपये जुर्माने का प्रावधान है.
सही बताइये क्या ये अपराध है? ना, ये हमारे सामान्य व्यवहार का हिस्सा है लेकिन, इसे न निभाने के कारण सरकार को इसे अपराध बनाना पड़ा है. सड़क पर कहीं भी थूकने में ज़रा भी किसी को संकोच नहीं लगता. यही वजह है कि ऐसा करने वालों के खिलाफ नगर निगम ने 500 रूपये के जुर्माने की व्यवस्था की है. हालांकि ये गलती इतनी व्यापक है कि शायद ही विभाग किसी का चालान काट पाया हो.
– इसी तरह खुले में पेशाब करने पर पहले तो 500 रूपये का जुर्माना था लेकिन, अब इसे घटाकर 10 रूपये कर दिया गया है. राह चलते कहीं भी कचरा फेंक देने पर भी इतने ही जुर्माने की व्यवस्था की गयी है.
ये भी आम है. सार्वजनिक जगहों पर सड़कों पर सिगरेट पीने वालों को ज़रा भी अंदाजा नहीं होता है कि उनकी ये आदत उनके आसपास के लोगों को कितना परेशान करती है. इसीलिए सरकार को ऐसा करने वालों के खिलाफ 200 रूपये जुर्माने का प्रावधान करना पड़ा है. इसी आदत को रोकने के लिए कुछ समय पहले खुली सिगरेट की बिक्री प्रतिबन्धित कर दी गयी थी लेकिन, कार्रवाई के अभाव में सबकुछ वैसे ही चल रहा है.
पार्किंग को लेकर तो कुछ व्यवस्थाओं में कमी है लेकिन लोगों की नीयत में भी कमी है. सही जगह पर गाड़ी लगाने की बजाय मनमर्जी से कहीं भी गाड़ी खड़ी देना आम है. इस सामान्य व्यवहार को अपराध बनाया गया जिससे लोगों को ऐसा करने से रोका जा सके. एमवी एक्ट में ही बेतरतीब गाड़ी खड़ी करने पर पहली बार में 500 रूपये और अगली बार से 1500 रूपये के चालान की व्यवस्था सरकार को करनी पड़ी है.
– बिना इण्डीकेटर दिये गाड़ी को मोड़ देना
– इसके अलावा बिना इण्डीकेटर दिये गाड़ी के गली में मोड़ देने पर भी 500 रूपये जुर्माने की व्यवस्था है. इसके साथ ही फुट बोर्ड पर गाड़ी खड़ी करने पर भी 500 रूपय़े का चालान काटा जा सकता है.
– गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन या किसी इलेक्ट्रानिक डिवाइस के इस्तेमाल पर तो 1000 रूपये जुर्माने का प्रावधान है. यदि दोबारा ऐसा करता कोई पाया गया तो जुर्माना सीधे 10 हजार का लगाया जा सकता है.
– प्रेशर हॉर्न बजाने पर तो 10 हजार रूपये जुर्माना लगाया जा सकता है. और तो और किसी दूसरे व्यक्ति को अपना ड्राइविंग लाइसेंस देने पर भी 500 रूपये का चालान काटा जा सकता है.
– शराब पीकर गाड़ी चलाने पर तो पहली बार में 5000 रूपये जबकि ऐसा ही दूसरी बार करते पाये जाने पर 10 हजार रूपये चालान की व्यवस्था की गयी है.
कई बार ये भी देखने को मिलता है कि सड़क पर निकलने की कोशिश कर रही एम्बुलेंस के प्रति ज्यादातर लापरवाह बने रहते हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए लेकिन, ऐसे हठी लोगों के लिए सरकार को 10 हजार रूपये जुर्माने की व्यवस्था करनी पड़ी है.
इन नियमों का उल्लंघन करने वालों से चालान तो काटा ही जाता है और समय समय पर सरकारी महकमे जागरूकता अभियान भी चलाते हैं, फिर भी ऐसे अपराधों की संख्या में कमी नहीं आ पा रही है.
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