नई दिल्ली. हिंदू महासभा (Hindu Mahasabha) के पूर्व अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या (Kamlesh Tiwari Murder) का मामला उत्तर प्रदेश पुलिस (UP Police) ही नहीं देश के अन्य राज्यों की पुलिस के लिए भी अलार्मिंग (चेतावनी) है. यूपी पुलिस के मुताबिक कमलेश तिवारी की हत्या की वजह भड़काऊ बयान बनी है. इस घटना के बाद योगी आदित्याथ सरकार (Yogi Adityanath Government) भड़काऊ बयान देने वाले संगठनों पर नकेल कस सकती है. सूत्र बताते हैं कि योगी सरकार इसके बारे में जल्द ही बड़ा ऐलान करने जा रही है. खासकर मौलानाओं और धर्मगुरुओं को अब राज्य में बयान देने से पहले काफी सोचना होगा. पुलिस को लगेगा कि उनके दिए बयान भड़काऊ हैं और इससे सांप्रदायिक भावना बिगड़ने का खतरा है तो वो ऐसे लोगों पर रासुका भी लगा सकती है.
योगी राज में सिर कलम का फरमान जारी करना अब पड़ेगा भारी
बता दें कि अगले कुछ दिनों में अयोध्या रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है. इस लिहाज से देखें तो कमलेश तिवारी मर्डर केस वैसे समय हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से आखिरी दलील पूरी हो गई थी. सुनवाई पूरी होने के अगले ही दिन लखनऊ में कमलेश तिवारी की घर में घुसकर हत्या कर दी गई. देश की आंतरिक सुरक्षा को नजदीक से जानने और समझने वाले वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का मानना है कि अयोध्या मसले पर फैसला आने के बाद की स्थिति और भयावह हो सकती है. यूपी पुलिस भी मान रही है कि सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने के लिए इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया है. ऐसे में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला आने के बाद आतंकी संगठनों के द्वारा इस तरह की और हत्याएं करवाई जा सकती हैं, ताकि देश का सांप्रदायिक माहौल खराब हो.
यूपी सरकार ने हिंदू महासभा के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या की जांच एनआईए से कराने की बात कही है (फाइल फोटो)
एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने न्यूज़ 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहा, 'राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला आने के बाद की स्थिति को संभालना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती साबित होने वाली है. इस घटना से यह साबित हो गया है कि मुस्लिम चरमपंथी गुट अयोध्या विवाद पर फैसला पक्ष में नहीं आने पर इस तरह के और वारदातों को अंजाम दे सकते हैं. इसके लिए यूपी सरकार ने सभी जिलों के पुलिस कप्तान (एसपी) को सख्त हिदायत दे दी है. अगले कुछ दिन में इसे लेकर डीजीपी ओ.पी सिंह भी बोलने वाले हैं. यूपी सरकार का क्या प्लान है यह मैं आपको बता नहीं सकता हूं. हां, इतना जरूर है कि अगले कुछ दिनों तक धर्मगुरुओं के बेलगाम बयान पर लगाम लगा दी जाएगी. सरकार को इनपुट मिली है कि राम जन्मभूमि पर फैसला आने से पहले कुछ मुस्लिम चरमपंथी गुट देश का माहौल खराब करना चाह रहे हैं.
यूपी पुलिस अब धार्मिक भावना भड़काने वालों पर हुई सख्त
यूपी पुलिस के इस अधिकारी के मुताबिक अगले कुछ दिन पुलिस के लिए काफी अहम साबित होंगे. ऐसा हो सकता है कि केंद्र की तरफ से कुछ अतिरिक्त फोर्स यहां भेजी जाए. क्योंकि चरमपंथी गुट कोर्ट के फैसले से पहले और बाद में भी माहौल बिगाड़ने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. मुझे जहां तक समझ है इस घटना के बाद अगर कोई भी शख्स गैर-जिम्मेदाराना बयान देगा तो यूपी पुलिस उस पर सख्त एक्शन लेगी.
अगले कुछ दिनों में अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है. अदालत में 40 दिन तक इस मामले की सुनवाई चली थी
बता दें कि शनिवार को यूपी पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) ओपी सिंह (OP Singh) ने कमलेश तिवारी हत्याकांड को सुलझा लेने का दावा किया. उनके मुताबिक वारदात के सभी आरोपियों की पहचान कर ली गई है. जांच में हत्या के तार गुजरात से जुड़े हुए पाए गए हैं. डीजीपी ने कहा कि कमलेश तिवारी की निर्मम हत्या हई है, अभी तक इसके पीछे किसी आतंकी संगठन की संलिप्तता नहीं मिली है.
दो मौलानाओं की भूमिका की हो रही जांच
ओपी सिंह ने कहा है कि हत्याकांड में बिजनौर के दौ मौलानाओं की भी भूमिका की जांच की जा रही है. वर्ष 2015 में इन दोनों मौलानाओं ने कमलेश तिवारी का सिर कलम करने वालों को डेढ़ करोड़ रुपये इनाम देने की घोषणा की थी. यूपी एसटीएफ की शुरुआती जांच में इन दोनों मौलानाओं के ऐलान और सूरत में हिरासत में लिए गए तीनों आरोपियों के बीच का संबंध खंगाला जा रहा है.
यूपी पुलिस भड़काऊ बयान देने वालों धर्मगुरुओं और मौलानाओं पर सख्त कार्रवाई करने की बात कह रही है (फाइल फोटो)
हिंदू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या के बाद अब उन मौलानाओं के लिए भी खतरे की घंटी है जो अनाप-शनाप बयान देते हैं. क्योंकि कमलेश तिवारी अयोध्या मामले में पक्षकार भी थे. तिवारी ने चार साल पहले पैंगबर साहब पर टिप्पणी कर दी थी. पैंगबर साहब पर टिप्पणी करना उन्हें भारी भी पड़ा था. उस समय की मौजूदा अखिलेश सरकार ने तिवारी पर रासुका लगा दी थी, जिसके बाद उन्हें जेल जाना पड़ा था. उस समय भी कुछ मौलानाओं ने इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया था. मौलानाओं ने तिवारी का सिर कलम करने का फतवा जारी किया था. इस घटना के बाद वह आतंकी संगठनों के भी निशाने पर आ गए.