रिपोर्ट- अंजलि सिंह राजपूत
लखनऊ. जगन्नाथपुरी के अलावा लखनऊ में भगवान जगन्नाथ का 200 साल पुराना एक ऐसा मंदिर है, जिसका निर्माण अवध के नवाब आसफ़ुद्दौला ने करवाया था. उन्होंने इस मंदिर का निर्माण पूरा हो जाने के बाद इसके गुंबद पर चांद लगवाया था, जो आज भी मौजूद है. इस मंदिर का इतिहास बेहद रोचक है. आपको बता दें कि मंदिर चिनहट और मल्हौर रेलवे स्टेशन के थोड़ी दूर पर बना हुआ है. यह पूरा इलाका सराय शेख नाम से प्रसिद्ध है. यह पूरी मंदिर लखौरी ईटों से बनाया गया है. इस मंदिर में प्रवेश करते ही दाएं ओर भगवान गणेश हैं और बाईं ओर गरुड़ भगवान हैं. सामने जगन्नाथ बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के साथ विराजमान हैं. शालिग्राम भगवान भी हैं. अब बात करते हैं उस मूर्ति की जिसकी वजह से यह पूरा मंदिर बना हुआ है. इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ के ऊपर काले रंग की चतुर्भुज भगवान विष्णु की एक प्रतिमा है.
इस मंदिर के महंत चंद्रदेव दास ने बताया कि इस इलाके में पहले एक विधवा स्त्री रहती थी जोकि उड़ीसा पुरी यात्रा से लौटी थी.उसका दोबारा जाने का बहुत मन था लेकिन बुढ़ापे की वजह से वह जगन्नाथपुरी नहीं जा पाई.वह भगवान जगन्नाथ को अपना इष्ट देव मानती थी. एक दिन भगवान जगन्नाथ उसके सपने में गए और उन्होंने बताया कि यहां पर एक रामगंगा है, उसमें उनकी चतुर्भुज काले रंग की प्रतिमा है. उसको वहां से निकालकर मूर्ति के दर्शन के लिए एक मंदिर में स्थापित करें. इस सपने के आने के बाद जब अगले दिन विधवा स्त्री वहां गई तो रामगंगा में सच में काले रंग की भगवान विष्णु की प्रतिमा मिली जिसे उसने इस मंदिर में स्थापित करा दिया. जो आज भी इस मंदिर में मौजूद है.
प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. योगेश प्रवीण जो कि अब हमारे बीच में नहीं है. उन्होंने भी इसी कहानी को हकीकत मानते हुए अपनी किताब लखनऊ नामा में बताया है. आसफ़ुद्दौला इस कहानी से प्रभावित होकर उन्होंने इस मंदिर को भव्य बनवाया जबकि पहले मात्र विष्णु भगवान के चतुर्भुज प्रतिमा यहां पर मौजूद थी. वर्तमान में रामगंगा कही जाने वाली नदी अब एक नाला बन चुकी है जो कि इसी मंदिर के पास में मौजूद है.
सात परिक्रमा की है मान्यता
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर की सात परिक्रमा करने वाले की किस्मत के सभी ताले खुल जाते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मंदिर सुबह 6:00 बजे खुल जाता है रात में 9:30 बजे बंद होता है. सुबह 8:00 बजे आरती होती रात में भी 8:00 बजे की आरती होती है. सोमवार, मंगलवार और शुक्रवार यहां विशेष पूजा अर्चना करने के लिए लोग आते हैं.
यहां पर भगवान जगन्नाथ का मुख पूर्व दिशा की ओर है. भक्त आशीष यादव ने बताया कि वह बचपन से इस मंदिर में आ रहे हैं और जो कुछ मांगा है, हमेशा पूरा हुआ है.
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