इस बार के उपचुनाव (By Election) में लखनऊ (Lucknow) जिले की कैंट विधानसभा में जितनी कम वोटिंग हुई है उससे कम वोटिंग 27 साल पहले हुई थी. इस बार के उपचुनाव में कैंट में कुल 29.55 लोगों ने ही अपने वोट डाले. इससे कम वोटिंग 1991 के विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में हुई थी जब इस सीट पर 28.42 फीसदी वोटिंग हुई थी. उसके बाद से एक आध बार के चुनाव ऐसे हुए जिसमें वोटिंग (Voting) कम हुई थी लेकिन, इतनी बुरी दशा कभी नहीं रही. 2007 के विधानसभा चुनाव में वोटिंग की हालत जरूर पतली हो गयी थी जब इस सीट पर महज 29.65 फीसदी वोट पड़े थे लेकिन, तब भी स्थिति इस बार से बेहतर थी. अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस कैंट के मतदाताओं ने 2017 के विधानसभा चुनाव में 51 फीसदी वोटिंग की थी इस बार उससे आधे से थोड़े ही अधिक वोटरों ने वोट डाले. चुनाव से ऐसी निरसता में कैंट ने रिकार्ड कायम कर दिया है. प्रदेश की जिन 11 सीटों पर उपचुनाव हुए उनमें कैंट सीट पर ही सबसे कम वोटिंग हुई है.
के नतीजों पर गौर करें तो ये साफ दिखाई देता है कि कैंट में हमेशा ही वोटिंग कम होती रहती है लेकिन इस बार तो कम वोटिंग परसेंट ने रिकार्ड ही बना दिया. आईये जानते हैं कि पिछले विधानसभा चुनावों में इस सीट पर कितनी वोटिंग हुई.
वैसे तो ये बात गैरमामूली लगती है कि कम वोटिंग परसेंट से रूलिंग पार्टी को फायदा नहीं होगा. कम से कम कैंट सीट पर तो आंकड़े इसके पक्ष में गवाही नहीं देते. बीजेपी के जन्म के बाद से ही ये सीट उसकी पारम्परिक सीट बनकर उभरी है. वोटिंग कम हो या ज्यादा इस सीट पर बीजेपी जीतती जरूर है. 1991 से लगातार ये सीट बीजेपी जीतती रही है. सिर्फ 2012 में उसको हार का सामना करना पड़ा. तब कांग्रेस की नेता रहीं रीता बहुगुणा जोशी ने बीजेपी से ये सीट छीन ली थी. कितनी अजीब बात है कि उनके बीजेपी से सांसद बन जाने के कारण ही ये सीट खाली हुई और इसपर उपचुनाव हुआ है. मतलब साफ है कि भले ही वोटिंग कम हुई हो लेकिन, बीजेपी अभी तक ये सीट इस हालात में भी जीतती रही है.
कैंट के कई मतदाताओं और नेताओं से न्यूज़ 18 ने बात की. नामांकन के बाद से ही इस सीट पर कोई राजनीतिक सरगर्मी देखने को नहीं मिली. पूरे चुनाव कोई हलचल नहीं दिखी. भाजपा के नेता चेतन सिंह ने बताया कि इसके पीछे दो अहम वजह हो सकती हैं. पहला तो ये कि लोगों को पता है कि ये सीट बीजेपी जीतेगी. ऐसे में बीजेपी विरोधी वोटरों को वोट देने में कोई दिलचस्पी नहीं रही होगी. चुनाव तब चढञता है जब संघर्ष दोनों ओर से हो. कैंट का चुनाव एकतरफा लगने के कारण भी लोगों का वोटिंग से मोहभंग हुआ होगा. दूसरा कारण छुट्टी में घरेलू कामकाज निपटाना माना जा सकता है. क्योंकि इस उपचुनाव से सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा लिहाजा लोगों ने वोट देने से ज्यादा जरूरी आने वाली दीवाली के लिए घरों की सफाई और खरीददारी को समझा. इसलिए भी पोलिंग बूथ पूरे दिन खाली रहे.
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FIRST PUBLISHED : October 21, 2019, 20:16 IST