रिपोर्ट : अंजलि सिंह राजपूत
लखनऊ. नौ साल की उम्र बच्चों के खेलने कूदने की होती है. लेकिन इस उम्र में लखनऊ का रहने वाला इश्लोक दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर है. पहले पिता को खोया फिर मां को. इसके बाद अपनों ने ही आशियाना छीन लिया. खून के रिश्ते ही जान से मारने की धमकी देने लगे.
इश्लोक की चाची विनीता ने बताया कि इश्लोक उनकी जेठानी विजयलक्ष्मी और जेठ दीपक कुमार का इकलौता बेटा है. दीपक कुमार की मृत्यु 2021 में हो गई थी. मां विजयलक्ष्मी की मृत्यु भी नवंबर 2021 में हुई थी. माता पिता के जाने के बाद से ही यह अपने नाना के पास रहता था. नानी की मृत्यु भी हो चुकी है. ऐसे में अक्टूबर 2022 में नाना मिश्रीलाल ने अपनी वसीयत में अपने हिस्से का मकान और संपत्ति सब कुछ नाती इश्लोक के नाम कर दी थी. लेकिन नाना के निधन के बाद उनके भाई कैलाश और उनके बेटों ने सारी संपत्ति पर कब्जा कर लिया और इसे घर से बाहर निकाल दिया.
जब उसने घर से बाहर निकलने से मना कर दिया तो इन्हें यानी विनीता और इनके पति सोनू को फोन करके बुलाया और कहा गया कि इस बच्चे को लेकर जाओ नहीं तो जान से मार देंगे. बच्चे की जान को खतरा को देखते हुए वह उसे अपने साथ चौपटिया स्थित मकान में ले आईं. विनीता ने बताया कि उनके खुद के तीन बच्चे हैं. पति मजदूरी करते हैं. आर्थिक हालत ठीक नहीं हैं. ऐसे में इसका पालन पोषण कर इसको इसका हक दिलाने के लिए लगातार लड़ाई लड़ रही हैं.
इश्लोक ने कहा कि नाना के साथ उनके भाई की पत्नी दुर्व्यवहार करती थीं. खाना नहीं देती थीं. उसने बताया कि उसकी पिटाई भी बच्चे और नाना के भाई करते थे. उसे खाने के लिए कुछ भी नहीं दिया जाता था. नाना होटल से खाना मंगा कर उसे खिलाते थे और खुद भी खाते थे.
इश्लोक के मुताबिक, मरने से पहले नाना ने कहा कि वह उसके नाम अपनी सारी संपत्ति कर चुके हैं. अगर उनके भाई कैलाश उसे न दें तो चाची के साथ थाने जाकर रिपोर्ट दर्ज कराए और अपने हक की लड़ाई लड़े.
इश्लोक ने बताया कि अब चाचा-चाची ही उसके माता-पिता हैं. बाकी उसका दुनिया में कोई भी रिश्तेदार नहीं है. आर्थिक तंगी के चलते इश्लोक की पढ़ाई छूट गई है लेकिन इसके सपने काफी बड़े हैं. पूछे जाने पर कहता हैं कि पढ़ाई करके फौजी बनना चाहता है और दुश्मनों से देश की रक्षा करना चाहता है.
चाची विनीता ने बताया कि इश्लोक को उसका हक दिलाने के लिए सबसे पहले ठाकुरगंज थाने पहुंची थीं क्योंकि ठाकुरगंज में ही बच्चे के नाना का मकान है. लेकिन थाने से कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद वह जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार के पास गईं. जहां से उन्होंने बच्चे को उसका हक दिलाने के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया है. यही नहीं जिलाधिकारी ने निर्देश दिया है कि इश्लोक का खाता खुलवा कर इसमें आपदा राहत कोष के जरिए 50,000 की धनराशि, पीएम केयर अनुदान के जरिए 10 लाख रुपए दिए जाएं. इसके अलावा बाल योजना के तहत 4000 प्रति माह देने के निर्देश भी दिया गया है. जिलाधिकारी ने इश्लोक का दाखिला अटल आवासीय विद्यालय में करने का भी निर्देश दिया है. बालिग होने तक जिलाधिकारी मासूम के संरक्षक रहेंगे.
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Tags: Family dispute, Lucknow news, Property dispute
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