लखनऊ पोस्टर मामला: न्यायपालिका पर अमर्यादित टिप्पणी करने के मामले में अज्ञात पर FIR

CAA के विरोध में लखनऊ में 19 दिसंबर को हिंसा की घटना हुई थी. सरकार ने आरोपियों के पोस्टर लखनऊ में लगाए थे.
बता दें कि 9 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में लखनऊ में लगे हिंसा के आरोपियों के पोस्टर पर फैसला सुनाया था. कोर्ट का यह फैसला जैसे ही आया, उसके बाद से ट्विटर पर लगातार 'वाह रे कोर्ट' और 'इलाहाबाद हाईकोर्ट' ट्रेंड करने लगा.
- News18 Uttar Pradesh
- Last Updated: March 13, 2020, 1:27 PM IST
लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में सीएए (CAA) हिंसा के आरोपियों के पोस्टर मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) पर अमर्यादित टिप्पणी करने वालों पर एफआईआर दर्ज हो गई है. सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर की तहरीर पर गोमतीनगर थाने में ये एफआईआर अज्ञात के खिलाफ दर्ज की गई है.
इससे पहले नूतन ठाकुर ने लखनऊ पुलिस को दिए अपने प्रार्थना पत्र में सोशल मीडिया पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को लेकर अमर्यादित व अशोभनीय टिप्पणी करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी. बता दें कि 9 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट में लखनऊ में लगे हिंसा के आरोपियों के पोस्टर पर फैसला सुनाया था.
दरअसल, कोर्ट का यह फैसला जैसे ही आया, उसके बाद से ट्विटर पर लगातार 'वाह रे कोर्ट' और 'इलाहाबाद हाईकोर्ट' ट्रेंड करने लगा. 'वाह रे कोर्ट' हैशटैग तो कुछ ही देर में टॉप पर पहुंच गया. सोशल मीडिया यूजर कोर्ट के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे. बता दें लखनऊ में 19 दिसंबर 2019 को सीएए प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वाले 57 उपद्रवियों के कई चौराहे पर तस्वीरें लगी हैं. मामले में 1 करोड़ 55 लाख की वसूली आदेश हुआ है.
इनपुट: ऋषभ मणि त्रिपाठीये भी पढ़ें:
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इससे पहले नूतन ठाकुर ने लखनऊ पुलिस को दिए अपने प्रार्थना पत्र में सोशल मीडिया पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को लेकर अमर्यादित व अशोभनीय टिप्पणी करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी. बता दें कि 9 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट में लखनऊ में लगे हिंसा के आरोपियों के पोस्टर पर फैसला सुनाया था.
दरअसल, कोर्ट का यह फैसला जैसे ही आया, उसके बाद से ट्विटर पर लगातार 'वाह रे कोर्ट' और 'इलाहाबाद हाईकोर्ट' ट्रेंड करने लगा. 'वाह रे कोर्ट' हैशटैग तो कुछ ही देर में टॉप पर पहुंच गया. सोशल मीडिया यूजर कोर्ट के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे. बता दें लखनऊ में 19 दिसंबर 2019 को सीएए प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वाले 57 उपद्रवियों के कई चौराहे पर तस्वीरें लगी हैं. मामले में 1 करोड़ 55 लाख की वसूली आदेश हुआ है.
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