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यूपी विधानसभा उपचुनाव से पहले BSP संगठन में मायावती ने किए ये बड़े बदलाव

बसपा अध्यक्ष मायावती ने एक बार फिर से मंडलवार कोऑर्डिनेटर व्यवस्था लागू कर दी है.

बसपा अध्यक्ष मायावती ने एक बार फिर से मंडलवार कोऑर्डिनेटर व्यवस्था लागू कर दी है.

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में 13 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले विधानसभा उपचुनाव (UP Assembly By election)के लिए बस ...अधिक पढ़ें

    लखनऊ. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में 13 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले विधानसभा उपचुनाव (UP Assembly By-election)के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) संगठन को दुरुस्त करने की कवायद में लग गई हैं. इसी क्रम में मायावती ने संगठन में मुस्लिम, पिछड़े और दलित समाज की नुमाइंदगी बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश के तीन कोऑर्डिनेटर की तैनाती की है. इनमें मुनकाद अली, आरएस कुशवाहा और भीमराव अंबेडकर के नाम शामिल हैं. यही नहीं संगठन में हर जिले के लिए एक कोऑर्डिनेटर की व्यवस्था लागू कर दी है. ये तीनों कोऑर्डिनेटर सीधे मायावती को रिपोर्ट करेंगे. ये महीने में 1 बार ग्राउंड रिपोर्ट पर समीक्षा बैठक करेंगे.

    नए निर्देशों के अनुसार बसपा में अब 3 मंडल में एक कोऑर्डिनेटर की जगह हर मंडल में 1 कॉर्डिनेटर होगा. मामले में प्रदेश अध्यक्ष और नवनियुक्त राज्य कोऑर्डिनेटर मुनकाद अली ने कहा कि हमारा मकसद पार्टी संगठन को मजबूत करना है. राज्य स्तर पर संगठन को मजबूत करने का निर्देश मिला है. बहनजी ने उपचुनाव में प्रत्याशियों को जिताने का निर्देश दिया है. उन्होंने बताया कि तीन मंडलों की व्यवस्था को बदल दिया गया है. बीएसपी की पॉलिसी अल्पसंख्यक और सर्व समाज के पक्ष में है. वैसे मायावती के इस बड़े बदलाव के पीछे सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले से जोड़कर देखा जा रहा है. 2007 में जब बसपा की सरकार उत्तर प्रदेश में बनी थी, तब भी मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला ही अपनाया था.

    मुनकाद अली बने पार्टी का मुस्लिम चेहरा
    करीब ढाई महीने पहले लखनऊ में हुई बैठक में जब मुनकाद अली को मायावती ने बहुजन समाज पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था तो बहुत सारे लोगों को आश्चर्य हुआ था. मायावती ने मुनकाद अली की तैनाती के पीछे तर्क दिया था कि लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यक वर्ग ने उनका जमकर साथ दिया इसलिए अल्पसंख्यकों में एक सकारात्मक संदेश जाना जरूरी है. अब मायावती ने मुनकाद अली को न सिर्फ राज्य कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी है बल्कि यह भी कहा है कि उत्तर प्रदेश के तमाम हिस्सों से मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने की जिम्मेदारी उनकी है. यानि मुनकाद अली बीएसपी में मुस्लिम चेहरा हो चुके हैं. मुनकाद अली बसपा से राज्यसभा के सदस्य भी रहे हैं.

    आरएस कुशवाहा पर ओबीसी और अति पिछड़ों को जोड़ने की जिम्मेदारी
    बात करें आरएस कुशवाहा की तो वह ओबीसी वर्ग से आते हैं और इससे पहले उत्तर प्रदेश बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा हुआ करते थे. आरएस कुशवाहा को मायावती ने महासचिव बना दिया है. साथ ही राज्य कोऑर्डिनेटर की बड़ी जिम्मेदारी देते हुए उम्मीद की है कि ओबीसी और अति पिछड़ा वर्ग को तेजी से पार्टी के साथ जोड़ेंगे. कुशवाहा पार्टी की तरफ से दो बार एमएलसी भी रह चुके हैं.
    वहीं भीमराव अंबेडकर दलित तबके से आते हैं और मौजूदा वक्त में उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में एमएलसी हैं. मायावती ने भीमराव अंबेडकर को राज्य कोऑर्डिनेटर बना कर दलित वर्ग को भी संदेश देने की कोशिश की है.
    (रिपोर्ट: अलाउद्दीन)

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