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Musa Bagh lucknow: मूसाबाग एक खूबसूरत इमारत जो अब बन गय है भूतिया घर, जानिए वजह

भूतिया घर कहे जाने के मामले पर उन्होंने बताया कि यहां भूत नहीं बल्कि जिन्न रहते हैं यह किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाते. ...अधिक पढ़ें

    लखनऊ/अंजलि सिंह राजपूत. मूसाबाग जहां एक जमाने में अवध केनवाब आसफुद्दौला रहा करते थे. जहां पर दिन भर जश्न-ए-दावतें हुआ करती थीं. जो कभी चारों ओर हरियाली उसे घिरा रहता था. आज ही मूसाबाग पूरी तरह से उजड़ चुका है. वीरान है. खंडहर हो चुका है. यही नहीं लखनऊ और इसके आसपास के लोग अब इसे भूतिया घर के नाम से जानते हैं. इसे भूतिया घर क्यों कहते हैं यही जानने के लिए जब हम पहुंचे यहां पर तो यहां के लोगों की प्रतिक्रियाएं चौंकाने वाली थी. यहां की रहने वाली स्थानीय कामिनी ने बताया कि उनकी सारी पीढ़ियां यही पर रही हैं. भूतिया घर कहे जाने के मामले पर उन्होंने बताया कि यहां भूत नहीं बल्कि जिन्न रहते हैं यह किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाते. लोगों की गलतफहमी है कि वह इनसे डर जाते हैं.

    एक दूसरे स्थानीय गणेश प्रसाद ने बताया कि एक जमाने में यहां पर भूत प्रेत होने की बातें कही जाती थीं लेकिन अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. अब यहां पर लोग आते हैं. पर्यटक घूमते हैं. अब लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. वहीं जब हमें दूसरे लोगों से पूछा तो उन्होंने यहां के बारे में कुछ भी बताने से मना कर दिया. मूसाबाग वर्तमान में कई मजारों से घिरा हुआ है. जहां लोग आते हैं और मत्था टेकते हैं मनोकामनाएं मांगते हैं और यहां की स्थानीय लोगों का कहना है कि जो लोग यहां मन्नते मांगते हैं उनकी पूरी भी होती हैं. वर्तमान में मूसाबाग नशेड़ी लोगों का अड्डा बन चुका है. ऐसे में यहां पर अकेले जाना आपके लिए बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. क्योंकि यहां का इलाका बेहद सुनसान है.

    इतिहासकार ने किताब में लिखी हैं ये बातें
    देश के जाने-माने इतिहासकार स्वर्गीय डॉ. योगेश प्रवीण ने अपनी किताब लखनऊ नामा में लिखा है कि मूसाबाग मोसियो मार्टिन ने नवाब आसफुद्दौला के लिए बनवाया था. मूसाबाग काकोरी और मलिहाबाद से लखनऊ के राजमार्ग पर स्थित है. इसका मुख्य स्थान दुबग्गा है. वह अपनी किताब में आगे लिखते हैं कि इस बाग में चारों तरफ एक पक्की चारदीवारी थी जिसका दरवाजा दक्षिण की तरफ था. खूबसूरत दरवाजे में 3 दरवाजे सामने थे और दो अगल-बगल थे. इसे लखौरी ईंटोंसे बनवाया गया है. यहां तहखाने केमहल भी हुआ करते थे. पूरे भवन में 32 दरवाजे थे. उन्होंने यहां पर हरियाली और आलीशान बारादरीहोने जैसी कई बातें अपनी किताब में लिखे हैं. यही नहीं उन्होंने अपनी किताब में यह भी लिखा है कि 1780 में जब जनरल क्लाउड मार्टिन यहां आए थे तो यहां पर जश्न और दावतेंहुई थी. 1857 के गदरमें यहां पर फौजी इकट्ठा थी. इसगदर का सबसे बड़ा खून खराबा यहां पर हुआ था. यहां पर बेगम हजरत महल हाथी पर सवार होकर आई थीं. योगेश प्रवीण ने अपनी पूरी किताब में मूसा बाग के भूतिया घर होने की बात कहीं पर भी नहीं लिखी है.

    आपके शहर से (लखनऊ)

    नोट-लोकल18 हिंदी भूत प्रेत जैसी मान्यताओं को बढ़ावा नहीं देता है. इसीलिए इन मान्यताओं की पुष्टि हम नहीं करते हैं.

    Tags: Lucknow news, Uttar pradesh news

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