होम /न्यूज /उत्तर प्रदेश /Lucknow News: लखनऊ की चाबी से इस बार नहीं होगा राष्ट्रपति का स्वागत, जानिए वजह

Lucknow News: लखनऊ की चाबी से इस बार नहीं होगा राष्ट्रपति का स्वागत, जानिए वजह

दरअसल, लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया का कार्यकाल खत्म हो चुका है. चुनाव न होने की वजह से फिलहाल अभी लखनऊ में मेयर कोई भी ...अधिक पढ़ें

    अंजलि राजपूत, लखनऊ

    देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 13 फरवरी को नवाबों के शहर लखनऊ आ रही हैं. उनके स्वागत में इस बार लखनऊ शहर की चाबी नहीं नजर आएगी. आपको बता दें कि जब भी लखनऊ शहर में राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री एयरपोर्ट पर आते हैं, तो शहर की प्रथम नागरिक यानी मेयर की ओर से उन्हें शहर की चाबी सौंपी जाती है. यह कहा जाता है कि माननीय शहर में आपका स्वागत है और यह शहर आपका है.

    इसी के साथ चांद की पॉलिश चढ़ी हुई करीब एक फीट लंबी चाबी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के हाथों में सौंप दी जाती है. इस बार जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लखनऊ की सरजमीं पर उतरेंगे तो उनके स्वागत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल नजर आएंगी. लेकिन शहर की प्रथम नागरिक नजर नहीं आएंगी, क्योंकि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को चाबी सौंपने की जिम्मेदारी मेयर की ही होती है.

    आपके शहर से (लखनऊ)

    एक खूबसूरत से फ्रेम में चाबी

    इस बार यह नजारा लखनऊ शहर के लोग नहीं देख पाएंगे. एक खूबसूरत से फ्रेम में इस चाबी को जब दिया जाता था. तो इस नजारे को हर कोई कैमरे में कैद करने से नहीं चूकता था.

    आपको बता दें कि इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह है कि उत्तर प्रदेश में अभी नगर निकाय चुनाव नहीं हुए हैं. लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया का कार्यकाल भी खत्म हो चुका है. चुनाव न होने की वजह से फिलहाल अभी लखनऊ में मेयर कोई भी नहीं है.

    जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली कमेटी को नगर निगमों का संचालन करने की जिम्मेदारी दी गई है. आपको बता दें कि 10 फरवरी से लखनऊ में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और जी-20 जैसे सम्मेलन होने जा रहे हैं. जिसका हिस्सा बनने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति लखनऊ आ रहे हैं.

    रामनाथ कोविंद को दी थी चाबी

    लखनऊ की पूर्व मेयर संयुक्ता भाटिया ने राष्ट्रपति रहे रामनाथ कोविंद और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने कार्यकाल में शहर के आगमन पर अपने हाथों से शहर की चाबी सौंपी थी. जब उनसे बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनके लिए यह सौभाग्य की बात थी.

    जाने-माने इतिहासकार डॉ. रवि भट्ट का इस पर कहना है कि चाबी सौंपने की परंपरा यूरोपियन परंपरा है. भारतीय परंपरा में ऐसा कहीं पर भी जिक्र नहीं है. आजादी के आज 75 सालों बाद भी यूरोपियन कल्चर हमें देखने के लिए मिलता है.

    Tags: Lucknow news, UP news

    टॉप स्टोरीज
    अधिक पढ़ें