रिपोर्ट : अंजलि सिंह राजपूत
लखनऊ . लखनवी सेवइयों का दीवाना पूरा देश है. यहां की किमामी सेवइयां उत्तर प्रदेश के अलावा पश्चिम बंगाल, चेन्नई, दिल्ली, मुंबई और महाराष्ट्र के साथ ही कोलकाता तक भेजी जाती है. इन राज्यों के लोगों को नवाबों की शहर की सेवइयां बेहद पसंद है. इसीलिए रमजान शुरू होने के पहले से ही लखनऊ की फैक्ट्रियों में सेवइयां बनाने का दौर शुरू हो चुका है.
लखनऊ में करीब 60 फैक्ट्री है. जहां पर सेवइयां को बनाया जाता है. लखनऊ के एक बेहद मशहूर फैक्ट्री के मालिक आसिफ ने बताया कि लखनवी सेवइयां किमामी ईद के लिए बेहद खास मानी जाती है. यहां की जैसी सेवइयां किसी भी दूसरे राज्यों में खाने के लिए नहीं मिलेगी इसलिए इनकी मांग सबसे अधिक होती है.
24 घंटे चालू है काम
उन्होंने बताया कि किमामी सेवइयां खाने में बेहद मुलायम होती हैं. इसे कई दिनों तक रखा जाए तो भी खराब नहीं होती. उन्होंने बताया कि इन दिनों फैक्ट्री में 24-24 घंटे मजदूर काम कर रहे है, ताकि दूसरे राज्यों में सही समय से लखनवी सेवइयां पहुंच सके. उन्होंने बताया कि लोग फैक्ट्रियों से संपर्क करके बड़ी संख्या में हर साल सेवइयों को बुक कर आते हैं ताकि अपनों तक इसे पहुंचाया जा सके. रोजाना 15 से 20 कुंतल सेवइयां रोज बनाई जा रही है. उन्होंने बताया कि सिर्फ दो दिन के अंदर ही करोड़ों की सेवइयां लोग बुक करा चुके हैं.
इस तरह तैयार होती हैं सेवइयां
सबसे पहले मैदा लेते है. उसे एक मशीन में डाल कर अच्छे से मिक्स किया जाता है . फिर दूसरी मशीन में जब मैदे को डाला जाता है तो मैदा सेवइयों के आकार में बनकर बाहर निकलता है. फिर इसे 5 से 7 घंटे तक धूप में सुखाया जाता है. इसे पतले-पतले डंडो पर रखकर सुखाया जाता है. सूख जाने के बाद इसे धीमी आंच पर भट्टी में रखा जाता है. फिर बाहर निकालकर इसके ठंडे होने का इंतजार किया जाता है. फिर इसे पेपर में लपेटकर पैक करके बाजारों में भेज दिया जाता है.
लखनऊ में इतनी है कीमत
नवाबों के शहर लखनऊ में सेवइयों का सबसे बड़ा बाजार अमीनाबाद, रकाबगंज और नक्खास हैं. यहां पर सेवइयों की कीमत अभी 40 से 60 रूपए किलो है जबकि इससे पहले 30 रूपए से लेकर 40 रूपए किलो थी. ईद आने तक इनकी कीमतों में और बढ़ोतरी होने की संभावनाएं यहां के व्यापारियों ने जताई है.
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