अमेठी दौरे पर कांग्रेस समर्थकों ने लगाए शिवभक्त राहुल गांधी के बैनर और पोस्टर
जैसे-जैसे 2019 का लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, यूपी की सियासत में धर्म की रफ़्तार जोर पकड़ रही है. या यूं कहें कि यूपी में राजनीति का 'भक्तिकाल' आरंभ हो चुका है. अभी तक बीजेपी वाले ही भगवान राम के नारे जोर-शोर से लगाते आ रहे थे, लेकिन अब इस लिस्ट में सपा और कांग्रेस भी शामिल हो गई है. बीजेपी के राम के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सपा मुखिया अखिलेश यादव खुद को सबसे बड़ा शिव और विष्णु भक्त साबित करने में जुटे हैं.
कैलाश मानसरोवर यात्रा से लौटे राहुल गांधी को पोस्टर-बैनर से लेकर सोशल मीडिया तक में कांग्रेस अध्यक्ष की जगह शिवभक्त के रूप में पेश किया जा रहा है. दो दिवसीय अमेठी दौरे के दौरान भी राहुल शिवभक्त नजर आए. सड़कों पर जगह-जगह लगे पोस्टर व बैनर पर राहुल को सांसद की जगह शिवभक्त लिखा गया. इतना ही नहीं राहुल ने अपने अमेठी दौरे की शुरुआत भी शिव पूजा से की. इस दौरान वे कांवड़ियों से भी मिले. इससे पहले भी भोपाल दौरे पर राहुल को भोले का भक्त बताया गया था. वहां उन्होंने शिव की पूजा की थी और 11 कन्याओं का पूजन किया था.
बीजेपी तो पहले ही भगवान राम को अपना खेवैया बना चुकी है. राम मंदिर का मुद्दा शुरू से ही बीजेपी के लिए संजीवनी साबित होता रहा है लेकिन समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के मुखिया भी अब भक्ति भाव में डूब गए हैं. पिछले दिनों अखिलेश यादव ने ऐलान किया था कि सत्ता में आए तो अंकोरवाट की तरह यूपी में भगवान विष्णु का मंदिर बनवाएंगे. उन्होंने कहा था कि भगवान कृष्ण विष्णु के अवतार हैं. सत्ता में आने पर हम लायन सफारी (इटावा) के निकट 2000 एकड़ में भगवान विष्णु के नाम पर शहर बसाएंगे. यहां सबसे बड़ा सवाल यही है कि सियासत में धर्म की एंट्री और अपने-अपने भगवान के सहारे वोटरों को लुभाने में जुटे सियासी दलों को 2019 के चुनाव में कितना फायदा होगा?
दरअसल, विपक्षी दलों का नरम हिंदुत्व की तरफ मुख करने के पीछे की वजह है बीजेपी का हिंदुत्व एजेंडा. बीजेपी ने अपने इस एजेंडे से यह साबित करने का प्रयास किया है कि सपा और कांग्रेस प्रो मुस्लिम हैं. यही वजह है कि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ने सॉफ्ट हिंदुत्व के एजेंडे पर काम करते हुए अपनी किसान यात्रा की शुरुआत देवरिया के दूधनाथ मंदिर से की. इस यात्रा के दौरान उन्होंने अयोध्या के हनुमानगढ़ी और मथुरा मंदिर में दर्शन पूजन किया. कहा जा रहा है कि राहुल गांधी के इस सियासी बदलाव के पीछे प्रशांत किशोर का दिमाग है. उन्होंने ही यह सुझाव दिया था. हालांकि यूपी चुनाव में उन्हें इसका फायदा नहीं मिला, लेकिन गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी का मंदिरों में दर्शन करना और जनेऊधारी होना कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हुआ. हालांकि वह गुजरात में सरकार नहीं बना सकी, लेकिन उसकी सीटों में इजाफा जरूर हुआ.
मंदिरों की यह सियासत राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से ही सीखी है. मोदी भी अपनी रैलियों की शुरुआत मंदिरों में दर्शन के साथ करते हैं. अब पीएम मोदी के इस धर्म की सियासत को कांग्रेस और सपा ने भी अपना लिया है. अगर कहा जाए कि 2019 का चुनाव धर्म प्रतीकों पर लड़ा जाएगा तो आतिशयोक्ति नहीं होगी. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि आने वाले समय में साधु-संन्यासी से बड़े तिलकधारी ये राजनेता बन जाएंगे.
न्यूज18 यूपी के एग्जीक्यूटिव एडिटर अमिताभ अग्निहोत्री कहते हैं कि इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है कि भूख, गरीबी, शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार जैसी समस्याओं के बीच राजनेता धर्म की ताबीज लेकर चुनावी समर में उतर रहे हैं.
अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष महाराज चक्रपाणि ने कहा कि इसके लिए मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति जिम्मेदार है. लंबे समय तक बहुसंख्यकों की अनदेखी की, जिसकी वजह से अब सियासी दलों को समझ में आ गया कि बहुसंख्यकों की अनदेखी करके सत्ता हासिल नहीं हो सकती है. इसी कारण से राम को काल्पनिक मानने वाले अब कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर रहे हैं.
एसपी प्रवक्ता डॉ. अजीज खान ने कहा कि कुछ कट्टरपंथी ताकतों ने गंगा-जमुनी तहजीब को नुकसान पहुंचाया है. नफरत फैलाने की राजनीति की गई है. एक खास पार्टी ने हिंदू भाइयों का ठेका ले रखा है.
कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि बीजेपी ने जिस तरह की सांप्रदायिकता को बढ़ावा दिया है उसी का यह प्रतिफल है. पीएम मोदी इंदौर के मस्जिद में मातम मनाने गए. अब बीजेपी के साथ सभी को वोट चाहिए तो धर्म की राजनीति ही होगी. अब देश बदल रहा है तो राजनीति भी बदल रही है. उन्होंने कहा कि शिवभक्त के पोस्टर को राहुल ने नहीं लगाया बल्कि उनके समर्थकों ने लगाया.
बीजेपी के मीडिया प्रभारी राकेश त्रिपाठी ने कहा कि पहले बीजेपी पर सांप्रदायिकता का आरोप लगता था. अब विपक्षी दल भी उसी में शामिल हो गए हैं. उन्होंने कहा कि धर्म का भेष बनाकर राजनीति करने वाले ज्यादा दिन टिकेंगे नहीं. वे जल्दी ही बेनकाब हो जाएंगे.
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