सरकार द्वारा आम जनता को सभी सुविधाएं देने के लिए अनेकों प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन उसके बाद भी आज ऐसा हाल देखने को मिलता है जहां बच्चे या तो शिक्षा से वंचित रह जाते हैं या फिर फुटपाथ पर पेट भरने के लिए भीख मांगते हुए मिलते हैं.लेकिन आज हम आपको एक ऐसी संस्था के बारे में बताएंगे जो बेसहारा बच्चों के भविष्य को संवारने में जुटी हुई है.लखनऊ Lucknow के दृष्टि सामाजिक संस्थान Drishti Social Institute द्वारा एक पहल कई वर्षों पहले शुरू की गयी थी. जिसका सार्थक उदाहरण अब देखने को मिल रहा है. जो बेसहारा दिव्यांग handicappedबच्चों के लिए सहारा बनी हुई है.
धीरेश बहादुर ने लोकल18 की टीम को बताया कि यहाँ हर एक बच्चे की दर्दनाक कहानी है जिसे सुन कर आत्मा रो उठती है लेकिन वहीं दूसरी ओर यह बच्चे अपना टैलेंट दिखा कर सर गर्व से ऊंचा कर देते हैं. ये बच्चे इतने मल्टी टैलंटेड हैं सुंदर हाथ से बने जेवर, हाथ से सिले हुए कपड़े ,कार्ड और पेंटिंग. इन बच्चों ने यह सब बनाना इस संस्थान में रह कर ही सीखा है और देखने में इतना सुंदर की काबिले तारीफ़.
दृष्टि सामाजिक संस्थान की पहल है स्पेशल स्कूल जिसमें लखनऊ के 300 बच्चे दिव्यांगहैं. दृष्टि इस स्कूल को अपने संसाधनों से और बिना किसी सरकारी सहायता के चला रही है. साथ ही जिनका कोई सहारा नहीं है उनको एक तरफ छत उपलब्ध कराने के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं.
लखनऊ से प्रियंका यादव की रिपोर्ट.
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