पिछले चुनाव में अली और बजरंगबली सबको याद होगा (सांकेतिक तस्वीर)
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) होने वाले हैं. सभी दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. उधर, आए दिन बयानबाजियां सुनने को मिल रही है. राजनीतिक दलों के रिएक्शन की एक कड़ी बनती दिखाई तो देती है, लेकिन इन सबके बीच वास्तविक मुद्दों पर कोई बात करता दिखाई नहीं दे रहा है. न्यूज़ 18 के एजेंडा बनारस कार्यक्रम में भी यही दिखा. जहां कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सत्ता धारी दल पर आरोप लगाते हुए कहा कि मैं भी हिंदू हूं. वहीं सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने बीजेपी पर आरोप लगाते ये सफाई भी दे डाली कि समाजवादी पार्टी आतंकियों के साथ नहीं है.
क्या आने वाला विधानसभा चुनाव धीरे-धीरे बयानबाजियों की तरफ बढ़ रहा है. वरिष्ठ पत्रकार अनिल भारद्वाज कहते हैं कि पिछले चुनाव के अली और बजरंगबली सबको याद होंगे. वे कहते हैं कि बीजेपी एक नैरेटिव सेट करती है और धीरे- धीरे सभी राजनीतिक दल उसी पर चले आते हैं और मुद्दों के बजाय चुनाव बयानों पर ही निपट जाता है. वे कहते हैं कि अभी से अगर नेताओं के बयानों पर ध्यान दें तो सिलसिला चल पड़ा है और विधानसभा चुनाव आते आते गति पकड़ लेगा.
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क्या बीजेपी चुनावी नैरेटिव सेट करती है, क्या बयानबाजियों पर सिमटेगा चुनाव. इस सवाल पर बीजेपी प्रवक्ता मनीष शुक्ला कहते हैं कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा ही नहीं है तो विपक्षी दल क्या बात करेंगे. शुक्ला कहते हैं कि इतना जरुर है कि वे अपने किए गये कर्मों पर बयानों के माध्यम से पानी डालते नजर आते हैं. बीजेपी प्रवक्ता के मुताबिक, जब पुलिस आतंकियों की गिरफ्तारी करती है तो सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का बयान आता है कि उन्हें यूपी पुलिस पर भरोसा नहीं है. वहीं राहुल गांधी और उनकी पार्टी का बयान मंदिर को लेकर जगजाहिर है, ऐसे में इनकी मजबूरी है जनता को सफाई देना. जनता जानती है कि बीजेपी सरकार ने क्या क्या जनहित के काम किए हैं यही कारण है कि 2022 का चुनाव बीजेपी ही जीतेगी.
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