उत्तर प्रदेश में शिया और सुन्नी दोनों सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Shia- Sunni Central Waqf Board) में चेयरमैन और सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो गया. शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी (Syed Waseem Rizvi) का 18 मई को कार्यकाल समाप्त हुआ जबकि यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ज़ुफर फारूकी (Zufar Farooqui) का कार्यकाल 31 मार्च को ही समाप्त हो चुका है. दोनों वक्फ बोर्ड में लॉकडाउन के चलते नए बोर्ड का गठन संभव नहीं है. लिहाजा सरकार ने दोनों ही वक्फ बोर्ड में सीईओ नियुक्त कर दिए हैं.
सरकार की तरफ से बात करते हुए अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से कोई भी चुनाव की प्रक्रिया अभी नहीं की जा सकती है. लिहाजा जब तक चुनाव हो नहीं जाते तब तक सरकारी सीईओ पूरा कामकाज देखेंगे. मोहसिन रजा ने कहा कि शिया और सुन्नी दोनों वक्फ बोर्ड समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान गठित हुए थे और दोनों ही वक्फ बोर्डों में वक्फ़ की जमीनों को खुर्द-बुर्द करने और उनको बेचे जाने समेत तमाम तरह की अनियमितताएं पाई गई थीं. मोहसिन रजा ने कहा कई जगह पर तो कानून को दरकिनार करते हुए मनमाने ढंग से वक़्फ़ की संपत्तियों पर मुतवल्ली नियुक्त किए गए. उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच राज्य सरकार ने सीबीआई को भी सौंपी है. मोहसिन रजा ने कहा कि अभी चुनावी प्रक्रिया संभव नहीं लिहाजा वक्फ बोर्ड सरकार के अधीन काम करेंगे. उन्होंने कहा कि हम प्रदेश वासियों को इस बात के लिए आश्वस्त कराते हैं योगी सरकार में बेहद ईमानदार पारदर्शी और अच्छे चेयरमैन चुनकर वक्फ़ बोर्ड में आएंगे जो अल्पसंख्यक के हितों में काम करेंगे.
मोहसिन रज़ा ने कहा कि पिछले 10 सालों में दोनों ही वक्फ बोर्डों में धड़ल्ले से अनियमितता हुई हैं. जिसके लिए सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार ने सहमति दी है. इसके अलावा वक्फ़ के ऑडिट के भी जांच के आदेश भी दिए गए हैं. अब बहुत तेजी और निष्पक्ष तरीके से जांच करने में मदद मिलेगी क्योंकि जो लोग जांच में रोड़े अटकाते थे वह अब बोर्ड में नहीं हैं. वहीं शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि मैंने पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ वक्फ बोर्ड को चलाया है मेरे ऊपर लगने वाले सभी आरोप बेबुनियाद हैं सरकार जब चाहे जहां चाहे जांच करा सकती है. वसीम रिजवी ने कहा कि हमने सरकार को पत्र लिखा है और सरकार से गुजारिश की है कि जब तक लॉकडाउन चल रहा है तब तक इसी बोर्ड को चलने दिया जाए और उसके बाद नए बोर्ड के गठन के लिए सरकार आगे प्रयास करें.
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FIRST PUBLISHED : May 21, 2020, 00:54 IST