सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि प्रवासी मजदूरों को 15 दिन में घर पहुंचाया जाए.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) में अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी के अनुसार अब तक देश के विभिन्न हिस्सों से प्रदेश में 21 लाख से ऊपर कामगार मजदूर (Migrant Laborers) वापस अपने घरों को आ चुके हैं. अभी भी ट्रेनों के चलने का सिलसिला जारी है और अगले कुछ दिनों में भारी तादाद में कामगार मजदूर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अपने घरों को पहुंच जाएंगे. उत्तर प्रदेश में मजदूरों की आमद का सिलसिला दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण (Corona Infection) को लेकर चिंता भी पैदा कर रहा है. एक तरफ प्रदेश में लगातार जहां कोरोना संक्रमितो की संख्या बढ़ रही थी, वहीं प्रवासी मजदूरों के आने से यह समस्या कई गुना ज्यादा बड़ी होती हुई दिखाई दे रही है.
अब तक उत्तर प्रदेश में 1350 से ज्यादा प्रवासी मजदूरों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है. पिछले 8 दिनों के आंकड़े को देखे तो उत्तर प्रदेश के आंकड़े में भारी उछाल आया है. उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग द्वारा रोज जारी होने वाले आधिकारिक आंकड़े के अनुसार "अब तक पिछले 8 दिनों में 2,000 (2 हज़ार ) से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव संक्रमितों की संख्या बढ़ी है. गौर करने वाली बात यह है कि इस संक्रमण में सबसे ज्यादा तादाद कामगार मजदूरों की नजर आ रही है." जिन जिलों में केस बढ़े हैं, वहां के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने माना है कि प्रवासी मजदूरों की वजह से लगातार चुनौतियां बढ़ रही हैं.
प्रवासी मजदूरों में बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते यूपी के कई जिले ऐसे हैं, जो अब तक ग्रीन और ऑरेंज जोन में थे, लेकिन अब ये रेड जोन की तरफ बढ़ चले हैं. यही नहीं विशेषज्ञ खतरे को अभी और बड़ा मानते हैं. कामगार मज़दूरों के बीच स्वतंत्र एजेंसी के तौर पर सहयोग देने वाले चिकित्सक "डॉ सलाहुद्दीन अलीग" कहते हैं, " हमारी टीम पिछले 60 दिनों से लगातार कोरोना संक्रमितों के बीच काम कर रही है लेकिन कामगार मजदूर सरकार और समाज के बीच नई चुनौती बनकर उभरे हैं. कोरोना वायरस के सायकल के हिसाब से अगले 14 और 21 दिन प्रदेश के लिए काफी अहम हैं. जिस तरह से लगातार उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हालात खराब हो रहे हैं, उससे बात साफ है कि चुनौतियां कम नहीं हैं. जो जिले ग्रीन और ऑरेंज जोन की वजह से सुकून में थे, अब वह रेड जोन की तरफ बढ़ चले हैं."
कौन-कौन से हैं जिले रेड ज़ोन में हैं खड़े
उत्तर प्रदेश में पिछले 1 हफ्ते के भीतर जिन जिलों में कामगार मजदूर ज़्यादा तादाद में आए हैं, उन जिलों में हालात रेड जोन वाले बन गए हैं. जिन जिलों में हालात ज्यादा खराब है, उनमें बाराबंकी, बस्ती, जौनपुर, गाजीपुर, सिद्धार्थनगर, बहराइच, प्रतापगढ़, अयोध्या, संत कबीर नगर, लखीमपुर खीरी, गोंडा, सीतापुर, अंबेडकर नगर, श्रावस्ती और बांदा प्रमुख हैं. यही नहीं उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से 2 दर्जन से ज़्यादा जिले अभी भी तेजी से कामगार मजदूरों की आमद का सामना कर रहे हैं. स्वास्थ विभाग के अधिकारियों को आशंका है कि इन जिलों में भी अगले 1 हफ्ते के भीतर भारी तादाद में कोरोना संक्रमित कामगार मजदूर मिल सकते हैं.
क्या कहते हें प्रमुख सचिव स्वास्थ्य
असल में कामगार मजदूरों के बीच कोरोना संक्रमण का मामला इतना नाजुक है कि स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी और स्थानीय जिला प्रशासन भी कुछ भी खुल कर बोलने से बचता रहा है. स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद कहते हैं, "कामगार मज़दूरों के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार तत्परता से काम कर रहा है. स्थानीय स्तर पर क्वॉरेंटाइन कराना, जांच और इलाज को लेकर भी समुचित दिशा निर्देश जारी किए गए हैं."
दरअसल उत्तर प्रदेश के आला अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग ने शुरुआती दिनों में जिस तरह से शहरों में कोरोना को रोकने में काफी हद तक सफल रोड मैप बनाने में सफलता पाई थी लेकिन उसके बाद अब चिंता ज़्यादा बढ़ गई है. नमूनों की जांच 1 दिन में 8000 से ऊपर पहुंचाने के बाद भी भी समस्याएं और चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं. स्वास्थ्य विभाग के कुछ आला अधिकारी तो यहां तक मान बैठे हैं कि कही भविष्य में कोरोना की भयावहता को देखते हुए वक्त के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना कहीं उनकी मजबूरी न हो जाए.
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