पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की फाइल फोटो
नए साल में लोकतंत्र के सबसे बड़े महाकुंभ यानी 2019 लोकसभा का चुनाव होने है. जहां यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर बीजेपी की नजर है, वहीं एनडीए से नाराज चल रहे दो सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) और राजभर की सुहैलदेव समाज पार्टी की स्थिती साफ नहीं है. पार्टी नेतृत्व ने जिस तरह प्रधानमंत्री की रैली से पहले ओम प्रकाश राजभर का विकल्प खड़ा करने की कोशिश की और अपना दल नेताओं का कोई मान मनौवल नहीं किया, उससे साफ है कि पार्टी उत्तर प्रदेश के सहयोगी दलों को साफ संकेत देना चाहती है कि गठबंधन उसकी शर्तों पर होगा.
उधर, गाजीपुर हिंसा के बाद निषाद पार्टी एक बार फिर चर्चा में है. इससे पहले यह पार्टी उस वक्त सुर्खियों में थी जब उसने मार्च 2018 में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर बीजेपी से योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर लोकसभा का उपचुनाव जीता था. वहीं बहराइच से बीजेपी की बागी सांसद सावित्री बाई फुले ने कहा था कि बीजेपी को हराने के लिए वह किसी हद तक भी जा सकती है.
इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार और न्यूज18 यूपी के पॉलिटिकल एडिटर मनमोहन राय कहते हैं कि सबसे महत्वपूर्ण सवाल है कि अगर अपना दल और राजभर की पार्टी अगर बागी होती है तो 2019 के चुनाव में बीजेपी पर बड़ा असर डालेगी, क्योकि अपना दल पूर्वी उत्तर प्रदेश में कुर्मियों की सबसे बड़ी पार्टी है. वहीं ओबीसी का बड़ा वोट बैंक है.
मनमोहन राय कहते हैं कि केंद्र में मंत्री और एनडीए की सहयोगी अनुप्रिया पटेल ने राज्य की योगी सरकार पर उपेक्षा का आरोप जरूर लगाया था. वहीं अनुप्रिया के पति और अपना दल (एस) के राष्टीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने बीजेपी के पक्ष में बयान देने के पीछे साफ है कि अपना दल का बीजेपी से गठबंधन में बनी रहेगी.
योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की नारजगी पर बोलते हुए राय ने बताया कि उनकी पकड़ पूर्वांचल के कुछ जिलों में दिखने लगी है. वो एक चतुर राजनीतिक के रूप में जाने जाते हैं. उन्होंने कहा कि वो खुद सरकार में मंत्री रहते हुए बीजेपी को हमेशा कोसते रहते हैं. इससे बीजेपी को लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है.
पॉलिटिकल एडिटर मनमोहन राय ने बताया कि अगर राजभर बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ते हैं तो इसका असर बीजेपी को कुछ जिलों में पड़ेगा. निषाद पार्टी का जिक्र करते हुए मनमोहन राय का मानना है कि निषाद जाति का यूपी की 100 विधानसभा सीटों पर, जबकि 20 लोकसभा सीटों पर प्रभाव माना जाता है, और निषाद वहीं हैं जिन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ से उपचुनावों में उनका गोरखपुर का किला जीत लिया था. उन्होंने कहा उपचुनाव जितने के बाद संजय निषाद और उनके कार्यकर्ता ज्यादा एक्टिव हो गए है. वहीं सपा-बसपा के साथ यह पार्टी चुनाव लड़ेगी या नहीं. लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के वोट बैंक में सेंधमारी कर सकती हैं.
इसी कड़ी में बहराइच से बीजेपी की बागी सांसद सावित्री बाई फुले के बारे में बोलते हुए मनमोहन राय ने कहा कि उनके बागी होने से बीजेपी को कोई खासा नुकसान नहीं होगा. हां इतना जरूर कहा जा सकता है कि बीजेपी के लिए कुछ मुश्किलें खड़ा कर सकती हैं.
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