लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (Uttar Pradesh Assembly Elections 2022) की अधिसूचना जारी हो चुकी है और पूरा प्रदेश आदर्श चुनाव संहिता (Model Code of Conduct) के दायरे में आ चुका है. पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. पुलिस-प्रशासन और चुनाव आयोग (Election Commission) की सख्ती के बावजूद रोज आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन इन मामलों में सख़्त कार्रवाई नहीं हो पाती है. लिहाजा आचार संहिता उल्लंघन को नेता और उनके कार्यकर्ता हल्के में लेते हैं.
2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में चुनाव से जुड़े 1780 मामले दर्ज हुए थे जिनमें से मात्र 104 मामलों में आरोपियों को सजा हुई हुई और 237 मामलों में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी. आंकड़ों के मुताबिक 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान 1307 मामले दर्ज हुए थे, इनमें से 1161 मामलों में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. इन मामलों में चार्जशीट के बाद ट्रायल भी चला, लेकिन सिर्फ 99 मामलों में सजा हुई, इनमें से 9 मामले ऐसे हैं जिनमें 3 साल से कम की सजा हुई, जबकि 90 मामलों में सिर्फ जुर्माना लगाया गया और 51 मामलों में कोर्ट से रिहाई हो गई. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान 473 मामले दर्ज हुए. इनमें से 382 में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की जबकि 91 मामलों में फाइनल रिपोर्ट लग गई.
किसी भी मामले में कैद की सजा नहीं
कुल दर्ज 473 मामलों में मात्र 5 में सजा हुई पर यह सजा भी सिर्फ जुर्माना भरने की थी. किसी भी मामले में कैद की कोई सजा नहीं हुई. वहीं 2 मामलों में आरोपी कोर्ट से बरी हो गए. 2017 और 2019 के चुनाव में यूपी में कुल मिलाकर हिंसा की 148 वारदात हुई. 2017 में हिंसा की 97 वारदात हुई जिनमें से 22 वारदात मतदान के दौरान हुई. वहीं 2019 में हिंसा की 51 वारदात हुई, इनमें से 8 वारदात मतदान के दौरान हुईं, लेकिन दोनों ही चुनाव में हिंसा के दौरान एक भी मौत नहीं हुई.
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