संकेत मिश्र
लखनऊ. यूपी बीजेपी संगठन ने 2022 विधानसभा चुनावों की समीक्षा रिपोर्ट शीर्ष नेतृत्व को भेजी है. इस रिपोर्ट में बसपा के वोट बीजेपी को ट्रांसफर होने से फायदा होने की बात कही गई है. वहीं, ओबीसी वोटर बीजेपी से खिसकने पर चिंता जताई गई है. यही नहीं, सहयोगी दल निषाद पार्टी के निषाद वोटर और अपना दल के कुर्मी वोटर ने बीजेपी का साथ नहीं दिया. बीजेपी सूत्रों की मानें तो सिराथू सीट पर केशव प्रसाद मौर्य की हार भी इसी वजह से हुई. जानकारी के मुताबिक, 82 पेज की रिपोर्ट यूपी बीजेपी ने पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजी है.
रिपोर्ट में कहा गया कई पिछड़ी बिरादरियों ने ज्यादा बीजेपी को वोट नहीं किया. पार्टी सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कुशवाहा, मौर्य, सैनी, कुर्मी, निषाद, पाल, शाक्य, राजभर जैसी कई ओबीसी बिरादरियों ने बीजेपी के पक्ष में बड़े पैमाने पर वोट नहीं किया, जितनी बीजेपी उम्मीद लगाए बैठी थी. वहीं, 80 लाख सदस्य चुनाव से पहले पार्टी से जोड़े, लेकिन उसके बाद भी बेहतर नहीं कर पाए.
पार्टी के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि बीजेपी ने सदस्यता अभियान चलाया. इसमें बीजेपी संगठन ने 2022 विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी ने 80 लाख नए मेंबर चुनाव से महज तीन माह पहले बनाए थे. इसके साथ पार्टी के यूपी में 2 करोड़ नौ लाख मेंबर हो गए थे. इसके बावजूद 2017 की तरह वोट नहीं मिला. यही नहीं, लाभार्थी संपर्क अभियान की रिपोर्ट बीजेपी ने देखी जिसमें 9 करोड़ लाभार्थी में काफी संख्या ऐसी रही जिन्होंने बीजेपी को वोट नहीं किया, लेकिन योजनाओं की तारीफ जरूर की.
गाजीपुर, अंबेडकर नगर और आजमगढ़ में बीजेपी का प्रदर्शन खराब
सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने जो रिपोर्ट भेजी है उसमें गाजीपुर, अंबेडकर नगर और आजमगढ़ जिलों में पार्टी का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है. इन तीन जिलों की 22 सीटों में से बीजेपी एक भी सीट जीतने में नाकाम रही.सपा ने आजमगढ़ और अंबेडकर नगर की सभी सीटों पर जीत हासिल की, तो वहीं गाजीपुर के सात निर्वाचन क्षेत्रों में से पांच पर जीत हासिल की.जबकि उसके सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने शेष दो सीटों पर जीत हासिल की. जबकि वर्ष 2017 में बीजेपी गठबंधन ने इन जिलों में आठ सीटें जीती थीं.
पोस्टल वोट बने बीजेपी की चिंता
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि बीजेपी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया है जिसमें सपा को 311 सीटों पर बीजेपी से ज्यादा वोट मिले. लगभग 4.42 लाख डाक मतों में से सपा गठबंधन को 2.25 लाख वोट मिले और बीजेपी व उसके सहयोगी दलों को 1.48 लाख वोट मिले. सपा के सरकारी कर्मचारियों की मांग पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के अपने चुनावी वादे में शामिल किया, उसका असर भी पोस्टल बैलेट में देखने को मिला.
वहीं, रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि शुरुआती चरणों में सरकारी आधिकारी और कर्मचारियों भी सपा की मदद की. वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश शुक्ला बताते हैं कि विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद पार्टी समीक्षा रिपोर्ट तैयार करतीहै, जिसको अपने शीर्ष नेतृत्व को भेजती और इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट जरूर किया जाता कि कमियां कहां रह गईं, ताकि उनको दुरूस्त किया जा सके. उसके बाद बीजेपी अगली चुनावी तैयारियों में जुटती है.
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