लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रचंड बहुमत (UP Election Result) के साथ भाजपा ने फिर सत्ता हासिल कर ली है. यही नहीं, सूबे की सियासत में 37 साल बाद किसी दल ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का मौका हासिल किया है. इस बार भाजपा की लहर के बाद भी पार्टी के तीन जगह कैंडिडेट तीसरे या फिर चौथे नंबर पर रहे हैं. हालांकि 2017 के चुनाव में भाजपा के पांच कैंडिडेट की स्थिति खराब रही थी. इस लिहाज से देख जाए तो इस बार सुधार हुआ है.
बता दें कि इस बार एनडीए गठबंधन को 273 सीटों पर जीत मिली है, जिसमें भाजपा को 255, अपना दल (एस) को 12 और निषाद पार्टी को 6 सीटों पर जीत हासिल हुई है. वहीं, सपा गठबंधन ने 125 सीटों पर जीत दर्ज की है. समाजवादी पार्टी को 111, आरएलडी को 8 और एबीएसपी का 6 सीटें मिली हैं. इसके अलावा कांग्रेस और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी को दो-दो, तो बसपा को एक सीट मिली है.
कुंडा में राजा भैया के सामने नहीं चला भाजपा का दांव
प्रतापगढ़ की कुंडा सीट पर जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के चीफ और बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने जीत हासिल की है. उन्हें 99612 वोट (50.58 फीसदी) मिले हैं, तो उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के गुलशन यादव को 69297 वोट (35.19 फीसदी) मिले. इस सीट पर भाजपा के सिंधुजा मिश्र सेनानी को महज 16455 (8.36 फीसदी) वोट मिले हैं. राजा भैया ने 30,315 वोटों से सपा को मात दी है, तो यहां भाजपा प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे.
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बलिया की रसड़ा सीट पर नहीं दिखा भाजपा का दम
कुंडा के अलावा बलिया की रसड़ा सीट पर भी भाजपा कैंडिडेट को ज्यादा वोट नहीं मिले. इस सीट से बसपा कैंडिडेट उमाशंकर सिंह विधायक बने हैं, जो कि इस चुनाव में बसपा की इकलौती सीट है. इस सीट पर मुकाबला बसपा और सुभासपा कैंडिडेट महेंद्र के बीच रहा, तो भाजपा के बब्बन रेस से बाहर थे. बसपा कैंडिडेट ने 87887 वोट (43.82 फीसदी) के साथ जीत हासिल की, तो सुभासपा 81304 वोट (40.54 फीसदी) लेकर दूसरे स्थान पर रही. वहीं, भाजपा को महज 24,235 वोट मिले, जो कि कुल वोट प्रतिशत का 12.08 फीसदी रहा.
जौनपुर की मल्हनी सीट पर भी हो गया खेल
भाजपा को इस बार जौनपुर की मल्हनी सीट पर बड़ा झटका लगा है. इस सीट पर पार्टी ने कृष्ण प्रताप सिंह (केपी) पर दांव खेला था, लेकिन वह चौथे स्थान पर रहे. सपा के दिग्गज नेता रहे पारस यादव के बेटे लकी यादव 97357 वोट (42.57 फीसदी) हासिल कर विधायक बने हैं, तो धनंजय सिंह 79830 वोट (34.91 फीसदी) पाकर दूसरे स्थान पर रहे. इस सीट पर बसपा के शैलेंद्र यादव को 24,007 वोट मिले और वह तीसरे नंबर पर रहे. जबकि भाजपा कैंडिडेट को महज 18319 वोट (8.01 फीसदी) ही मिल सके.
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2017 में रहा था ऐसा हाल
इस बार कुंडा, रसड़ा और मल्हनी में भाजपा कैंडिडेट की स्थिति खराब रही है. वहीं, पिछली बार यानी 2017 के विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर भाजपा को झटका लगा था. उस वक्त बदायूं की सहसवान, अमेठी की गौरीगंज, रायबरेली सीट, हाथरस की सादाबाद और प्रयागराज की सोरांव सीट पर भाजपा कैंडिडेट को बहुत कम वोट मिले थे. बता दें कि किसी भी सीट पर जमानत बचाने के लिए कुल वोट का 16.16 फीसदी (1/6) वोट हासिल करना होता है.
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