UP Panchayat Elections 2021: आरक्षण तय करने का तैयार हो चुका है 'फॉर्मूला', जोरशोर से चल रही तैयारी

पंचायत चुनाव का ऐलान कभी भी किया जा सकता है. (सांकेतिक फोटो)
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में होने वाले पंचायत चुनावों (Panchayat Election) को लेकर तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है. बताया जा रहा है कि एक दो दिन के भीतर परिसीमन पर निर्णय कर लिया जाएगा.
- News18 Uttar Pradesh
- Last Updated: January 18, 2021, 12:57 PM IST
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनावों (Panchayat Election) को लेकर तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है. बताया जा रहा है कि एक दो दिन के भीतर परिसीमन पर निर्णय कर लिया जाएगा. इसके अलावा 22 जनवरी को वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन कर दिया जाएगा. इन सबके साथ ही चुनाव मैदान में उतरने वाले दावेदारों की नजर आरक्षण (Reservation) पर है, क्योंकि आरक्षण के बाद ही दावेदार अपना मैदान तय कर सकते हैं. बताया जा रहा है कि इस बार आरक्षण को लेकर चुनाव आयोग ने एक नया फॉर्मूला तैयार किया है.
नए फॉर्मूले के तहत पंचायतों में आरक्षण मैनुअल की बजाय विशेष सॉफ्टवेयर से ऑनलाइन होना है. इसके लिए विभागीय पोर्टल पर पिछले 5 चुनाव के आरक्षण का ब्यौरा फीड किया जा रहा हैं. आरक्षण के बाद ही तय होगा कि किस गांव में किस जाति का उम्मीदवार चुनाव लड़ सकता है, क्योंकि गांव अगर आरक्षित हो गया तो सामान्य जाति के लोग वहां से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. इसी तरह अगर गांव महिला के लिए आरक्षित हो गया तो वहां से कोई पुरुष पर्चा नहीं भर सकता.
आरक्षण तय करने में होता है विवाद
बता दें कि पंचायत चुनाव में सीटों के आरक्षण तय करने में सबसे ज्यादा विवाद होता है. हर सीट पर प्रत्येक वर्ग को प्रतिनिधित्व को 1995 से चक्रानुक्रम आरक्षण व्यवस्था लागू हुई. हालांकि, इस साल अभी फार्मूले का ही इंतज़ार हैं, लेकिन डीपीआरओ ऑफिस के अनुसार, पारदर्शिता के चलते पंचायत चुनाव-2020 नाम से सॉफ्टवेयर पर पंचायतों की आबादी व आरक्षण का ब्यौरा आदि अपलोड किया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों का कहना है चुनावी प्रक्रिया आरंभ होते ही शासन के फैसले के अनुसार सॉफ्टवेयर से आरक्षण तय हो जाएगा.पंचायतों की भी जानकारी मांगी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आंशिक परिसीमन वाले जिलों में प्रभावित पंचायतों की स्थिति की भी जानकारी मांगी गई हैं. इसके तहत पंचायती राज निदेशक ने पंचायत चुनाव के संबंध में जिलों से संपूर्ण सूचना मांगी है. इसमें साल 2015 में जिले में कितनी सीटों पर पंचायत चुनाव हुआ था, इस वर्ष कितनी सीटें कम हुई हैं, जैसे सवाल शामिल हैं. हालांकि, ऐसा वहीं किया जा रहा हैं जहां सीमा विस्तार के बाद ग्राम पंचायतों का रकबा प्रभावित हुआ है.
नए फॉर्मूले के तहत पंचायतों में आरक्षण मैनुअल की बजाय विशेष सॉफ्टवेयर से ऑनलाइन होना है. इसके लिए विभागीय पोर्टल पर पिछले 5 चुनाव के आरक्षण का ब्यौरा फीड किया जा रहा हैं. आरक्षण के बाद ही तय होगा कि किस गांव में किस जाति का उम्मीदवार चुनाव लड़ सकता है, क्योंकि गांव अगर आरक्षित हो गया तो सामान्य जाति के लोग वहां से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. इसी तरह अगर गांव महिला के लिए आरक्षित हो गया तो वहां से कोई पुरुष पर्चा नहीं भर सकता.
आरक्षण तय करने में होता है विवाद
बता दें कि पंचायत चुनाव में सीटों के आरक्षण तय करने में सबसे ज्यादा विवाद होता है. हर सीट पर प्रत्येक वर्ग को प्रतिनिधित्व को 1995 से चक्रानुक्रम आरक्षण व्यवस्था लागू हुई. हालांकि, इस साल अभी फार्मूले का ही इंतज़ार हैं, लेकिन डीपीआरओ ऑफिस के अनुसार, पारदर्शिता के चलते पंचायत चुनाव-2020 नाम से सॉफ्टवेयर पर पंचायतों की आबादी व आरक्षण का ब्यौरा आदि अपलोड किया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों का कहना है चुनावी प्रक्रिया आरंभ होते ही शासन के फैसले के अनुसार सॉफ्टवेयर से आरक्षण तय हो जाएगा.पंचायतों की भी जानकारी मांगी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आंशिक परिसीमन वाले जिलों में प्रभावित पंचायतों की स्थिति की भी जानकारी मांगी गई हैं. इसके तहत पंचायती राज निदेशक ने पंचायत चुनाव के संबंध में जिलों से संपूर्ण सूचना मांगी है. इसमें साल 2015 में जिले में कितनी सीटों पर पंचायत चुनाव हुआ था, इस वर्ष कितनी सीटें कम हुई हैं, जैसे सवाल शामिल हैं. हालांकि, ऐसा वहीं किया जा रहा हैं जहां सीमा विस्तार के बाद ग्राम पंचायतों का रकबा प्रभावित हुआ है.