UP News: पीडब्लूडी में हुए ट्रांसफर में बड़ी लापरवाही सामने आई है.
रिपोर्ट: संकेत मिश्र
लखनऊ. पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने मृत इंजीनियर घनश्याम दास कासवाल का तबादला फिरोजाबाद से झांसी कर दिया. जबकि घनश्याम की तीन साल पहले मौत हो चुकी है. इसी तरह कई इंजीनियर का तबादला दो-दो जिलों में कर दिया गया. लापरवाही का आलम यह है कि गृह जनपद में ही इंजीनियर का तबादला कर दिया. रसूख वाले चीफ इंजीनियर 12 से 18 साल से एक ही मंडल और जिलों में जमे हैं, इनको हटाने की बजाए तीन माह और दो साल पहले तैनाती पाए इंजीनियरों को हटाया गया. तबादलों में कई अन्य लापरवाही हुई, जिनमें मामला बढ़ता देख अफसरों ने एक दर्जन से ज्यादा इंजीनियरों के संशोधित आदेश जारी किए हैं.
पीडब्ल्यूडी में जेई घनश्याम दास कसवाल की तीन साल पहले मृत्यु हो चुकी है, लेकिन इनका तबादला फिरोजाबाद से झांसी कर दिया गया. राजकुमार की निर्माण खंड इटावा से ललितपुर तबादला कर दिया गया, लेकिन इस नाम का कोई जेई नहीं है. धर्मपाल जेई का तबादला दो जिलों मैनपुरी और इटावा में कर दिया गया. सालिग सिंह का तबादला 2 जिलों बदायूं और लखनऊ में कर दिया गया. हैरानी की बात यह है की डीजे अनिल कुमार सिंह का उनके गृह जनपद कन्नौज में तबादला कर दिया. अरुण कुमार श्रीवास्तव एनएच लखनऊ में 7 साल से पोस्टेड हैं, उनका तबादला प्रांतीय खंड लखनऊ में ही कर दिया गया.
वहीं एई गौरव श्रीवास्तव के प्रस्ताव पर शासन से 30 जून को आपत्ति लगाई थी. हैरानी की बात है कि जिस दिन और जिस जगह जाने पर अपत्ति लगाई पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने उसी दिन गौरव की पोस्टिंग कुशीनगर कर दी. दरअसल, तैनाती अवधि मंडल में पूरी होने की वजह से आपत्ति लगाई गई थी. एई मनोज कुमार सिंह का तबादला महज तीन माह में इटावा से मथुरा कर दिया गया. इसी तरह संतोष कुमार का तबादला महज तीन माह में हरदोई से कानपुर नगर कर दिया गया. मोहन चंद्र का तबादला महज तीन माह में धामपुर से बिजनौर कर दिया गया. शशिकांत का तबादला महज दो साल के अंदर प्रांतीय खण्ड गोरखपुर कर दिया गया, जबकि बदायूं में महज एक सहायक अभियंता बचे हैं. इसी तरह संतोष कुमार का दो साल भी पूरे नहीं हुए थे, इनको पीलीभीत से हरदोई स्थानांतरित कर दिया गया.
ओमप्रकाश प्रसाद को 13 साल वाराणसी मंडल में हो चुके हैं. इन्हें इसी मंडल के निर्माण खण्ड-1 वाराणसी में पोस्ट कर दिया. अधिशाषी अभियंता आशीष कुमार श्रीवास्तव लखनऊ में जेई, एई और अब अधिशाषी अभियन्ता हो गए. आशीष को उसी खण्ड का अधिशाषी अभियन्ता बनाया, जहां पिछ्ले कई वर्षों से एई थे. अधिशाषी अभियन्ता मनीष वर्मा पिछ्ले पांच वर्षों से लखनऊ मुख्यालय में हैं. इनका तबादला नहीं किया गया. इसी तरह डीडी सिंह मौर्य लखनऊ में पिछ्ले पंद्रह साल से हैं, इनका तबादला नहीं हुआ. राकेश कुमार लखनऊ में 12 साल से हैं, इनका तबादला नहीं किया गया. इसी तरह जोध कुमार प्रांतीय खण्ड हापुड़ में पांच साल से तैनात हैं. विमल कुमार गौतमबुद्ध नगर में पांच साल से तैनात हैं. इनके नियमानुसार तबादले होने थे, लेकिन नहीं हटाए गए. वहीं कई चीफ इंजीनियरों के रसूख का आलम यह है कि दस साल से ज्यादा एक ही जिले और मंडल में बैठे हैं. इनमें जितेंद्र कुमार बांगा 18 साल से लखनऊ में तैनात हैं. वहीं संजय कुमार श्रीवास्तव 16 साल से लखनऊ में तैनात हैं और अशोक कनौजिया 12 साल से लखनऊ में तैनात हैं. नियमानुसार इन चीफ इंजिनियरों को हटा के योगी सरकार की मंशा का संदेश पीडब्ल्यूडी महकमे के अफसरों को देना चाहिए था, लेकिन यह चीफ इंजीनियर अपने रसूख के दम पर डटे हैं.
उधर लापरवाही सामने आने के बाद विभाग के एचओडी मनोज गुप्ता ने बताया तबादलों की डेट बढ़ गई है, जो भी गड़बड़ी है, उसमें सुधार किए जाएंगे. लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि यह गड़बड़ी जानबूझकर की गई है या नहीं.
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