कोरोना पॉजिटिव होने पर जहां लोग अपनों से मिलने में भी कतराते है वहीं कई कोरोना संक्रमित शवों को अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करना भी नहीं नसीब हो रहा था.ऐसे में लखनऊ की वर्षा वर्मा ने रूढ़िवादी परम्पराओ को दी चुनौती साथ ही 600 से अधिक शवों का किया अंतिम संस्कार और खुद शव वाहन चला कर शव को लें जाती थी कब्रिस्तान.वर्षा कोरोना संक्रमित शवों को उनके घरों या शमशान में ले जाने का पुण्य कार्य कर रही है.वर्षा ने लोकल18 की टीम को बताया कि उन्होंने कोरोना की सेकंड वेव के दौरान अपनी करीबी मित्र को खोया था,उस समय शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस ना मिलने की बात ने वर्षा को ये काम करने का बढ़ावा दिया.
एम्बुलेंस खुद करती है ड्राइव
वर्षा ने एक किराए की वैन ली और उसकी सीट ऐंबुलेंस जैसी करके उसे शव वाहन बना दिया.वह इस वाहन में शव रखकर उनके परिजनों तकपहुंचाती हैं.लोगों को इसकी जानकारी पहुंचाने के लिए वर्षा ने वैन में निशुल्क शव वाहन लिखवाया है.इसमें अपना संपर्क नंबर भी लिखा.एक दिन लखनऊ के आरएमएल अस्पताल परिसर में जाकर खड़ी हो गईं. 2 घंटे बाद उनके पास तमाम लोग आने लगे साथ ही फोन भी आने लगे और फिर शवों को श्मशान से लेकर कब्रिस्तान तक ले जाने का सफर शुरू हो गया.वर्षा ने बताया कि एक कोरोना मरीज की मौत के बाद उसे उसके परिवार के सदस्य भी छूने से डरते हैं.लोग पीपीई किट पहनकर शव के पास आते हैं.कई बार उनके पास पीपीई किट नहीं होती थी तब भी उन्होंने ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए बिना रुके शव का दाह संस्कार करती थी.
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