एक तरफ सरकारें शारीरिक रूप से अक्षम खिलाड़ियों को तमाम सुविधाएं दे रही हैं.वहीं लखनऊ में एक खिलाड़ी ऐसा भी है जो दो जून की रोटी के लिए परेशान है.चीन के शंघाई तक में अपनी सफलता के झंडे गाड़ चुका हामिद आज एक अदद नौकरी के लिए परेशान है.
2007 के स्पेशल समर ओलम्पिक में एथलीट हामिद ने गोल्ड मेडल जीता था.इसके अलावा भी हामिद के पास तमगों और सर्टिफिकेट का तो ढेर है,लेकिन सरकारी नौकरी आते आते रह गई. अपनी टूटी फूटी जबान में हामिद बताता है कि वह नौकरी के लिए सीएम से मिला था और उसके बाद उसके पास रोजगार कार्यालय से एक चिठ्ठी आई तो जरूर पर देरी से.
अफसरों को तो नौकरी न देने का एक बहाना मिल गया कि हामिद देर से आया.हामिद ने तमाम कोशिश की और चक्कर लगाए लेकिन अफसरों के दिल न पसीजा.बेवा मां को बुढ़ापे में किसी तरह की तकलीफ न हो इसलिए हामिद दस -दस रुपए जोड़ने के लिए एक जगह से दूसरी जगह भागा करता है, लेकिन इससे जिम्मेदार अफसरों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है.
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FIRST PUBLISHED : February 11, 2016, 11:38 IST