निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद का राजनीतिक कद सहजनवा के कसरवल कांड से बना था, जब उन्होंने अनुसूचित जाति के आरक्षण (Reservation Movement) के लिए आंदोलन किया था. 2015 में रेलवे ट्रैक जाम कर सरकारी नौकरियों में निषादों के आरक्षण (Nishad Reservation) की मांग करने वाला यह आंदोलन हिंसक हो गया था. 2013 में निषाद पार्टी (Nishad Party) बनाने से पहले 2002 में उन्होंने पूर्वांचल मेडिकल इलेक्ट्रो होम्योपैथी एसोसिएशन बनाई थी और 2008 में आल इंडिया बैकवर्ड एंड माइनारिटी वेलफेयर मिशन और शक्ति मुक्ति महासंग्राम जैसी संस्थाएं भी.
निषाद पार्टी का राजनीतिक ग्राफ भाजपा के साथ जुड़ने के बाद बढ़ा. 2017 में निषाद पार्टी ने पीस पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. 72 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और जीता केवल एक. इस बार भाजपा के साथ चुनाव लड़कर 15 में से उसके 11 उम्मीदवार जीते. 2017 में तो खुद निषाद ही गोरखपुर देहात से चुनाव हारे थे, लेकिन इस बार योगी कैबिनेट में मंत्री पद पा गए हैं.
इस बार निषाद पार्टी के यूपी की चौथी सबसे पार्टी बनने में भाजपा के साथ तालमेल रंग लाया. इससे पहले निषाद पार्टी सपा के साथ भी गठबंधन कर चुकी थी और अब आलम यह है कि इस बार संजय निषाद के जो 11 विधायक जीते, उनमें से 5 ने तो चुनाव बीजेपी के सिंबल पर लड़ा.
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