UP News: योगी सरकार अब अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट JPNIC की कराएगी जांच, लपेटे में आ सकते हैं पूर्व VC समेत कई अफसर

योगी सरकार अब अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट JPNIC की कराएंगी जांच (File Photo)
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की सरकार ने गोमतीनगर में समाजवादी चिंतक जयप्रकाश नारायण के नाम पर जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC) का निर्माण कराया था.
- News18 Uttar Pradesh
- Last Updated: April 9, 2021, 11:54 AM IST
लखनऊ. योगी सरकार (Yogi Government) ने पूर्व सीएम अखिलेश यादव के कार्यकाल में बने जेपीएनआईसी (JPNIC) की जांच करने के निर्देश जारी किए हैं. शासन के निर्देश पर लखनऊ मंडल के कमिश्नर रंजन कुमार को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है. जांच टीम इस बात की पड़ताल करेगी कि जिस प्रोजेक्ट के लिए महज 200 करोड़ का टेंडर कराया गया था, उसकी लागत 1000 करोड़ कैसे पहुंच गई और उसके बावजूद काम पूरा नहीं हुआ. इस बीच एलडीए ने इसके अधूरे कामों को पूरा करने के लिए करीब 100 करोड़ रुपए का नया प्रस्ताव भेज दिया. इसके बाद खुद मुख्य सचिव ने प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया.
शासन की तरफ से जारी हुई जांच के बाद पूर्व वीसी सत्येंद्र सिंह और आर्किटेक्ट कंपनी आरकॉम पर गाज गिरने की आशंका जताई जा रही. आरकॉम कंपनी को पूर्व सरकार के सबसे ताकतवर नेता का करीबी माना जाता है. पिछली सरकार में इस आर्किटेक्ट कंपनी के रसूख का यह आलम था कि उसके प्रतिनिधि सीधे शासन की बैठकों में बिना रोक-टोक शामिल होते थे, जबकि एलडीए अधिकारी बाहर इंतजार कर रहे होते थे. हालांकि, अब शुरू हुई जांच में बड़े पैमाने पर बरती गई अनियमितताएं से पर्दा उठने की उम्मीद है.
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बता दें कि समाजवादी पार्टी की सरकार ने गोमतीनगर में समाजवादी चिंतक जयप्रकाश नारायण के नाम पर जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (जेपीएनआईसी) का निर्माण कराया था. करीब 800 करोड़ रुपए से अधिक की लागत में एक अत्याधुनिक सेंटर बनाया गया, जिसमें तमाम तरह की सुविधाओं का भी ख्याल रखा गया. भाजपा सरकार बनने के बाद से अब तक चार जांच हो चुकी हैं. न दोषियों पर कार्रवाई हो पा रही है और न ही इस सेंटर का निर्माण कार्य पूरा करा कराया जा सका है. ऐसी स्थिति में इसे जनता को भी सौंपा नहीं जा सका है.खर्च को लकर सख्ती
मुख्य सचिव के निर्देश के बाद आवास विभाग के सचिव अजय चौहान ने एलडीए को पत्र भेजा है. आवास विभाग की मानें तो पूर्व में स्वीकृत बजट में ही जेपीएनआईसी का काम पूर्ण कराया जाए. बिना शासन के अनुमोदन के जो काम एलडीए द्वारा कराए गए हैं, उनका भुगतान शासन द्वारा नहीं होगा. जो काम पूर्व स्वीकृत बजट के अलावा कराए गए हैं, उनका भी भुगतान एलडीए को शासन नहीं करेगा. इन कामों को कराने वालों का उत्तरदायित्व भी देखा जाएगा. एलडीए इसकी रिपोर्ट बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की अगली बैठक में रखेगा. एलडीए ने संशोधित डीपीआर तैयार कर व्यय वित्त समिति से अनुमति लेने की कार्रवाई भी शुरू कर दी है. मंडलायुक्त लखनऊ मंडल रंजन कुमार इसकी रिपोर्ट शासन को देंगे.
शासन की तरफ से जारी हुई जांच के बाद पूर्व वीसी सत्येंद्र सिंह और आर्किटेक्ट कंपनी आरकॉम पर गाज गिरने की आशंका जताई जा रही. आरकॉम कंपनी को पूर्व सरकार के सबसे ताकतवर नेता का करीबी माना जाता है. पिछली सरकार में इस आर्किटेक्ट कंपनी के रसूख का यह आलम था कि उसके प्रतिनिधि सीधे शासन की बैठकों में बिना रोक-टोक शामिल होते थे, जबकि एलडीए अधिकारी बाहर इंतजार कर रहे होते थे. हालांकि, अब शुरू हुई जांच में बड़े पैमाने पर बरती गई अनियमितताएं से पर्दा उठने की उम्मीद है.
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मुख्य सचिव के निर्देश के बाद आवास विभाग के सचिव अजय चौहान ने एलडीए को पत्र भेजा है. आवास विभाग की मानें तो पूर्व में स्वीकृत बजट में ही जेपीएनआईसी का काम पूर्ण कराया जाए. बिना शासन के अनुमोदन के जो काम एलडीए द्वारा कराए गए हैं, उनका भुगतान शासन द्वारा नहीं होगा. जो काम पूर्व स्वीकृत बजट के अलावा कराए गए हैं, उनका भी भुगतान एलडीए को शासन नहीं करेगा. इन कामों को कराने वालों का उत्तरदायित्व भी देखा जाएगा. एलडीए इसकी रिपोर्ट बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की अगली बैठक में रखेगा. एलडीए ने संशोधित डीपीआर तैयार कर व्यय वित्त समिति से अनुमति लेने की कार्रवाई भी शुरू कर दी है. मंडलायुक्त लखनऊ मंडल रंजन कुमार इसकी रिपोर्ट शासन को देंगे.