महा निर्वाणी अखाड़ा का ऐलान- जब तक यमुना का पानी साफ नहीं होगा तब तक 'शाही स्नान' में नहीं लेंगे भाग

महंत धर्मदास ने दो अन्य वैष्णवी अखाड़ों- महा निर्मोही और महा दिगंबर अखाड़ा के प्रमुखों की उपस्थिति में यह घोषणा की. (फाइल फोटो)
अयोध्या स्थित महा निर्वाणी अखाड़ा (Maha Nirvani Akhada) के प्रमुख महंत धर्मदास ने शेष तीन शुभ दिनों- 9, 13 और 25 मार्च को नदी में ’शाही स्नान’ का बहिष्कार करने की घोषणा की.
- भाषा
- Last Updated: February 28, 2021, 7:02 AM IST
मथुरा. यमुना (Yamuna) के गंभीर जल प्रदूषण को रेखांकित करते हुए, देश के तीन प्रमुख हिंदू संतों ने शनिवार को संकल्प लिया कि वे वर्तमान में चल रहे वृंदावन कुंभ (Vrindavan Kumbh) के दौरान बाकी ’शाही स्नान’ में तब तक भाग नहीं लेंगे, जब तक कि नदी का पानी साफ नहीं हो जाता. अयोध्या स्थित महा निर्वाणी अखाड़ा (Maha Nirvani Akhada) के प्रमुख महंत धर्मदास ने शेष तीन शुभ दिनों- 9, 13 और 25 मार्च को नदी में ’शाही स्नान’ का बहिष्कार करने की घोषणा की. उन्होंने आगामी कुंभ मेले के लिए भी ऐसी घोषणाएं कीं.
महंत धर्मदास ने दो अन्य वैष्णवी अखाड़ों- महा निर्मोही और महा दिगंबर अखाड़ा के प्रमुखों की उपस्थिति में यह घोषणा की. महंत धर्मदास ने कहा, ’अगले ’शाही स्नान’ में, हम यमुना में पवित्र डुबकी तभी लगाएंगे, जब पानी साफ होगा.’ दो अन्य अखाड़ों के प्रमुखों ने इस पर सहमति व्यक्त की.
कृष्ण लीला से जुड़ी कलाकृतियां उकेरी गई हैं
बता दें कि वृंदावन में इस बार कुंभ यानी अर्धकुंभ या कुंभ बैठकी लगी है. इसे लेकर वृंदावन को दुल्हन की तरह सजाया गया है. वृंदावन के पेड़-पौधों से लेकर दीवारों पर चित्रकारी की गई है. वृंदावन में 16 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन पहले शाही स्नान के साथ ही इस वैष्णव कुंभ का शुभारंभ हुआ है. जिसमें देश के कोने-कोने से साधु-संत और लोग शामिल हुए हैं. इस बार कुंभ क्षेत्र के साथ ही वृंदावन का परिक्रमा मार्ग लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इसकी वजह है परिक्रमा मार्ग की हर एक दीवार से लेकर हर एक पेड़ पर की गई कलाकारी. इन पेड़ों और दीवारों पर कृष्ण लीला से जुड़ी कलाकृतियां उकेरी गई हैं.उन्हें करीब 15 दिन का समय लगा है
ये देखने में इतनी सुंदर लग रही हैं कि लोगों को सहज ही आकर्षित कर रही हैं. पिछले 15 दिन से परिक्रमा मार्ग और पेड़ों पर अपने रंगों से कलाकारी कर रहे शुभम मिश्रा बताते हैं कि कुंभ के शाही स्नान की तारीख नजदीक आते ही उनका पेंटिंग का काम पूरा हो चुका है. पेड़ों और मार्ग की दीवारों पर लीलाएं दिखाने में उन्हें करीब 15 दिन का समय लगा है.
महंत धर्मदास ने दो अन्य वैष्णवी अखाड़ों- महा निर्मोही और महा दिगंबर अखाड़ा के प्रमुखों की उपस्थिति में यह घोषणा की. महंत धर्मदास ने कहा, ’अगले ’शाही स्नान’ में, हम यमुना में पवित्र डुबकी तभी लगाएंगे, जब पानी साफ होगा.’ दो अन्य अखाड़ों के प्रमुखों ने इस पर सहमति व्यक्त की.
कृष्ण लीला से जुड़ी कलाकृतियां उकेरी गई हैं
बता दें कि वृंदावन में इस बार कुंभ यानी अर्धकुंभ या कुंभ बैठकी लगी है. इसे लेकर वृंदावन को दुल्हन की तरह सजाया गया है. वृंदावन के पेड़-पौधों से लेकर दीवारों पर चित्रकारी की गई है. वृंदावन में 16 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन पहले शाही स्नान के साथ ही इस वैष्णव कुंभ का शुभारंभ हुआ है. जिसमें देश के कोने-कोने से साधु-संत और लोग शामिल हुए हैं. इस बार कुंभ क्षेत्र के साथ ही वृंदावन का परिक्रमा मार्ग लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इसकी वजह है परिक्रमा मार्ग की हर एक दीवार से लेकर हर एक पेड़ पर की गई कलाकारी. इन पेड़ों और दीवारों पर कृष्ण लीला से जुड़ी कलाकृतियां उकेरी गई हैं.उन्हें करीब 15 दिन का समय लगा है