आज ही के दिन भगवान कृष्ण ने रचाई थी महारास लीला, तब 6 महीने तक नहीं हुई थी सुबह

आज ही के दिन भगवान कृष्ण ने रचाई थी महारास लीला (प्रतीकात्मक फोटो)
कहा जाता है कि भगवान कृष्ण (Lord Krishna) ने शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन ही 16 हजार 108 गोपियों के संग महारास लीला रचाई थी. तब 6 महीने के लिए रात्री ठहर गई थी.
- News18 Uttar Pradesh
- Last Updated: October 13, 2019, 2:07 PM IST
मथुरा. आज शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) है. हिन्दू धर्म ग्रंथों की माने तो आज ही के दिन भगवान कृष्ण (Lord Krishna) ने महारास लीला (Maharas Leela) रचाई थी. कहा जाता है कि तब भगवान कृष्ण ने अपनी योगमाया से रात को 6 माह तक रोके रखा था. तब आज के दिन लगातार 6 महीने तक रात ही रही थी, सूर्योदय नहीं हुआ था. मथुरा के विद्वान पंडितों का कहना है कि चंद्र सरोवर कृष्ण की महारास लीला का गवाह है.
कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने 16 हजार 108 गोपियों संग महारास लीला रचाई थी. कहा जाता है कि श्रीकृष्ण की जन्म स्थली एवं क्रीड़ा स्थली उनकी लीलाओं का गवाह है. भगवान कृष्ण ने विश्व को ज्ञान संदेश देने के लिए ब्रज क्षेत्र को चुना और बृज कान्हा की हर एक लीला को याद दिलाता है. कहते हैं कि ब्रज में हर एक जगह और गांव का नाम भी कृष्ण की लीलाओं से जुड़ा होता है. यही नहीं ब्रज में कई जगह ऐसी हैं जो आज भी कृष्ण कालीन युग का अनुभव कराती हैं.

कृष्ण कालीन युग की बहुत सी निशानियां मौजूद हैंबताया तो यहां तक जाता है की ब्रज में आज भी कृष्ण कालीन युग की बहुत सी निशानियां मौजूद हैं. ये निशानियां कहीं वृक्ष के रूप में तो कहीं शिला के रूप में मौजूद हैं. भक्तों के अनुसार, ये निशानियां कान्हा के आज भी ब्रज में रहने का एहसास कराती हैं. भगवान कृष्ण ने यूं तो बहुत सी लीलाएं रचीं, लेकिन महारास लीला कृष्ण की सबसे बड़ी लीला है. इसके बारे में हिन्दू धर्म ग्रंथो में भी वर्णन मिलता है.

शरद पूर्णिमा 6 माह तक रात्रि में ही ठहर गया था
धर्म-ग्रंथों के अनुसार, भगवान कृष्ण ने योगमाया से शरद पूर्णिमा 6 माह तक रात्रि में ही ठहर गया था. तब कन्हैया ने 16 हज़ार 108 सखियों के साथ महारास लीला रचाई थी. कान्हा की इस अद्भुत लीला को देखने के लिए स्वयं भगवान शंकर गोपी का रूप धरा कर महारास में शामिल हुए थे. तो वहीं, इंद्र ने भी देवलोक से इसके दर्शन कर अपने को कृतार्थ किया था. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने कामदेव पर भी जीत हासिल की थी. भगवान ने सभी ऋतुओं का एक -एक महीने को लेकर रात्रि विस्तार किया था, तब जाकर 6 माह की महारास लीला सम्पन्न हुई थी.
रिपोर्ट- नितिन गौतम
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कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने 16 हजार 108 गोपियों संग महारास लीला रचाई थी. कहा जाता है कि श्रीकृष्ण की जन्म स्थली एवं क्रीड़ा स्थली उनकी लीलाओं का गवाह है. भगवान कृष्ण ने विश्व को ज्ञान संदेश देने के लिए ब्रज क्षेत्र को चुना और बृज कान्हा की हर एक लीला को याद दिलाता है. कहते हैं कि ब्रज में हर एक जगह और गांव का नाम भी कृष्ण की लीलाओं से जुड़ा होता है. यही नहीं ब्रज में कई जगह ऐसी हैं जो आज भी कृष्ण कालीन युग का अनुभव कराती हैं.

कृष्ण कालीन युग की बहुत सी निशानियां मौजूद हैंबताया तो यहां तक जाता है की ब्रज में आज भी कृष्ण कालीन युग की बहुत सी निशानियां मौजूद हैं. ये निशानियां कहीं वृक्ष के रूप में तो कहीं शिला के रूप में मौजूद हैं. भक्तों के अनुसार, ये निशानियां कान्हा के आज भी ब्रज में रहने का एहसास कराती हैं. भगवान कृष्ण ने यूं तो बहुत सी लीलाएं रचीं, लेकिन महारास लीला कृष्ण की सबसे बड़ी लीला है. इसके बारे में हिन्दू धर्म ग्रंथो में भी वर्णन मिलता है.

शरद पूर्णिमा 6 माह तक रात्रि में ही ठहर गया था
धर्म-ग्रंथों के अनुसार, भगवान कृष्ण ने योगमाया से शरद पूर्णिमा 6 माह तक रात्रि में ही ठहर गया था. तब कन्हैया ने 16 हज़ार 108 सखियों के साथ महारास लीला रचाई थी. कान्हा की इस अद्भुत लीला को देखने के लिए स्वयं भगवान शंकर गोपी का रूप धरा कर महारास में शामिल हुए थे. तो वहीं, इंद्र ने भी देवलोक से इसके दर्शन कर अपने को कृतार्थ किया था. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने कामदेव पर भी जीत हासिल की थी. भगवान ने सभी ऋतुओं का एक -एक महीने को लेकर रात्रि विस्तार किया था, तब जाकर 6 माह की महारास लीला सम्पन्न हुई थी.
रिपोर्ट- नितिन गौतम
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