Viral Fever in UP: यूपी में डेंगू और वायरल बुखार का कहर जारी है और यह बच्चों के लिए जानलेवा हो रहा है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली. देश में अगस्त महीने से एकाएक मौसमी बुखार या वायरल फीवर (Viral Fever) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इस रहस्यमयी बुखार की चपेट में आ चुके यूपी, एमपी सहित कई राज्यों में मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही मौतों के भी मामले सामने आ रहे हैं. मथुरा, फिरोजाबाद, कानपुर, लखनऊ, एटा, मैनपुरी, प्रयागराज सहित कई जिलों के हजारों की संख्या में वायरल फीवर के मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं. वहीं बिहार, हरियाणा और मध्य प्रदेश के कई जिलों में मौसमी बुखार (Seasonal Fever) के मरीज अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं. लगभग सभी राज्यों में मिल रहे वायरल फीवर के मरीजों में सबसे ज्यादा संख्या बच्चों की सामने आ रही है. इतना ही नहीं इलाज में हो रही कमी के कारण रोजाना बच्चे दम तोड़ रहे हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि मौसमी बुखार, वायरल फीवर और डेंगू (Dengue) इस बार काफी खतरनाक हो रहे हैं वहीं बच्चे इन बीमारियों की चपेट में इस बार तेजी से आ रहे हैं. यूपी के कई जिलों और खासतौर पर मथुरा-फिरोजाबाद में फैली बीमारी और बच्चों की मौतों को लेकर महामारी विज्ञानी डॉ. हिमांशु मिश्र ने न्यूज 18 हिंदी से बातचीत में कहा कि छह सालों के बाद पश्चिमी यूपी या मथुरा-फिरोजाबाद आसपास में वायरल (Viral) या मौसमी बुखार और डेंगू के इतने ज्यादा मामले सामने आए हैं और मौतें भी हो रही है. पिछले कुछ सालों तक पूर्वी यूपी के कुछ जिलों में स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus) एक या दो मामले मिलते थे और उनकी भी ट्रैवल हिस्ट्री होती थी लेकिन पहली बार है कि इन मरीजों की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं देखने को मिली लेकिन बीमारी मिल रही है. वहीं लेप्टोस्पायरोसिस पूरी तरह नई बीमारी है.
बच्चों में मौसमी बुखार इसलिए हो रहा है जानलेवा
डॉ. मिश्र कहते हैं कि हर साल मौसमी बुखार या वायरस से होने वाली बीमारियां जैसे वायरल फीवर और इन्फ्लूएंजा आदि होती थीं. इन बीमारियों का भी एक तय सर्कल होता का कि करीब सात या आठ दिन में मरीज ठीक हो जाएगा. चूंकि यह वातावरण बदलने के कारण बीमारी पैदा होती रही है इसलिए बच्चे भी चपेट में आते थे लेकिन इस बार यह बच्चों की मौतों की भी खबरें आ रही हैं. बच्चों के लिए जानलेवा बनने की एक सबसे बड़ी वजह जो सामने आई है वह यह है कि इस बार सरकारी अस्पतालों में भर्ती हुए ज्यादातर बच्चे कुपोषित या कम पोषित हैं. उन्हें पर्याप्त रूप से भोजन या पोषणयुक्त आहार नहीं मिलता जिसकी वजह से बुखार की चपेट में आने पर उनका शरीर बीमारी का मुकाबला नहीं कर पा रहा है और वे दम तोड़ रहे हैं. वायरल या इन्फ्लूएंजा भी वायरस जनित बीमारियां ही हैं इनसे लड़ने के लिए शरीर में प्रतिरोधक क्षमता या शक्ति का होना जरूरी है.
मौसमी बुखार के लिहाज से ये महीने काफी संवेदनशील
एपिडेमिलॉजिस्ट डॉ. मिश्र कहते हैं कि अप्रैल-मई से लेकर सितंबर-अक्तूबर तक मौसमी बीमारियों का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. इस दौरान बारिश का मौसम और वातावरण में नमी के कारण वायरस (Virus) और बैक्टीरिया दोनों को ही पनपने में मदद मिलती है. इसके साथ ही बारिश के कारण होने वाले पानी के जमाव के बाद मच्छरों का पनपना शुरू हो जाता है. इस बार जो कुछ नई बीमारियां दिखाई दी हैं जैसे स्क्रब टाइफस या लैप्टोस्पाइरोसिस आदि इसके लिए भी बारिश के कारण ग्रामीण इलाकों में बढ़ने वाली झाड़ियां, वहां पैदा हो रहे कीट आदि जिम्मेदार हैं. ऐसे में कोरोना के प्रति तो लोग सावधान रहे हैं लेकिन अन्य मौसमी बीमारियों को लेकर सावधानी नहीं बरती गई है. साफ पानी में मच्छरों का लार्वा नष्ट नहीं किया गया है.
क्या कोरोना ने कमजोर की है बच्चों की इम्यूनिटी
डा. मिश्र कहते हैं कि इस बारे में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता. इसे लेकर कई रिसर्च चल रही हैं जिनमें यह देखा जा रहा है कि क्या कोरोना के कारण बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हुई है जिसकी वजह से वे वायरल लोड को नहीं झेल पा रहे हैं या सामान्य बुखार भी उन्हें ज्यादा तकलीफ दे रहा है. हां लेकिन एक चीज है कि जो बच्चे सही आहार पहले से ले रहे हैं वे इस मौसमी बुखार से उबर रहे हैं.
धान की खेती में पैदा हुआ डेंगू का मच्छर
पश्चिमी यूपी के जिन जिलों डेंगू के मामले बढ़े हैं वहां एक चीज और देखी गई है कि इन जिलों के आसपास धान की खेती की गई है. मध्य जून से ही यहां धान (Paddy) की रोपाई शुरू की गई है. धान के लिए साफ पानी की जरूरत होती है और खेतों में पानी भरा रहता है. ऐसी आशंका है कि धान के पानी में डेंगू के मच्छरों का लार्वा पनपा है. चूंकि डेंगू का मच्छर 10 दिन में ही पनप जाता है ऐसे में यह भी एक वजह हो सकती है इन इलाकों में डेंगू के फैलने की.
बच्चों पर शुरू से ध्यान देना जरूरी, बीमारी में ये करें उपाय
डॉ. कहते हैं कि मौसमी बीमारी, मौसम जनित है ऐसे में उसे रोक पाना संभव नहीं है लेकिन सावधानी और ध्यान देकर उससे बचाव किया जा सकता है जो सभी को करना चाहिए. खासतौर पर बच्चों को संभालना बेहद जरूरी है. मौसमी बुखार या वायरल फीवर से बचने के लिए भी कोरोना की तरह ही सुरक्षा नियमों का पालन करना जरूरी है. चाहे इन्फ्लूएंजा हो या वायरल फीवर, ये सभी वायरस जनित हैं और एक से दूसरे में फैलने वाली बीमारियां हैं. ऐसे में अभिभावक बच्चों को सार्वजनिक स्थानों पर कम से कम ले जाने, सोशल डिस्टेंसिंग रखने और साफ-सफाई व हाथ धोने की आदत डालें.
अगर कोई बच्चा बुखार की चपेट में है तो उसे कोई भी दवा अपने आप देने या बिना किसी मेडिकल प्रेक्टिशनर की सलाह के दवा देना नुकसानदेह हो सकता है. इस बार यूपी में कई गांवों से आए मरीजों में ये देखा गया है कि वे अपने आस-पास मौजूद झोलाछाप डॉक्टरों से ही दवा दिलवाते रहे और बाद हालात काफी जटिल हो गए.
डॉ. मिश्र कहते हैं कि बच्चे के खाने में लिक्विड डाइट को ज्यादा से ज्यादा दें. सादा खाना दें. मरीज को हरी सब्जियां दें. एंटीऑक्सीडेंट और प्रोटीन से भरपूर खाना दें ताकि बीमारी से लड़ने के लिए शरीर को पोषक तत्व मिल सकें. इसके अलावा अगर बच्चे या बड़े को तीन दिन से ज्यादा बुखार है और उतर नहीं रहा है तो डॉक्टर को दिखाएं. जरूरी जांचें करवाएं.
इसके अलावा मच्छरों से बचाव करें. बच्चों को पहले से ही खाने में पोषणयुक्त खाना दें. ताकि बीमारी के प्रभाव को कम किया जा सके.
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