घोसी में गठबंधन प्रत्याशी पर गैरजमानती वारंट के बीच बीजेपी की राह आसान?
घोसी में गठबंधन प्रत्याशी पर गैरजमानती वारंट के बीच बीजेपी की राह आसान?
गठबंधन के प्रत्याशी अतुल राय और बीजेपी के प्रत्याशी हरिनारायण राजभर
घोसी सीट पर गठबंधन प्रत्याशी अतुल राय एक रेप केस को लेकर मुश्किलों में पड़ गए हैं. यूपी कॉलेज की एक पूर्व छात्रा से रेप के केस में उन पर गैरजमानती वारंट जारी हो गया है.
घोसी लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश की राजनीति में दिग्गज कांग्रेसी नेता रहे कल्पनाथ राय के नाम से पहचानी जाती है. कई बार राज्यसभा और लोकसभा सांसद रहे कल्पनाथ राय ने कांग्रेस की सरकारों में विभिन्न पदों पर काम किया था. 2014 में पहली बार ऐसा हुआ जब बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. लंबे समय तक यह इलाक कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ भी हुआ करता था. दिग्गज वामपंथी नेता झारखंडे राय इस सीट से कई बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे.
कौन हैं प्रत्याशी
बीजेपी ने एक बार फिर 2014 के विजेता प्रत्याशी हरिनारायण राजभर पर भरोसा जताया है. हरिनारायण ने यहां से पार्टी का खाता खोला था. वहीं एसपी-बीएसपी गठबंधन के प्रत्याशी अतुल राय हैं. अतुल राय 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में गाजीपुर की जमनिया सीट पर बीएसपी के प्रत्याशी थे. उन्हें बीजेपी उम्मीदवार सुनीता ने हराया था. अब पार्टी ने उन पर लोकसभा चुनाव के लिए भरोसा जताया है. हालांकि अभी एक रेप केस को लेकर अतुल राय मुश्किलों में पड़ गए हैं. यूपी कॉलेज की एक पूर्व छात्रा से रेप के केस में उन पर गैरजमानती वारंट जारी हो गया है. अतुल राय को बाहुबली मुख्तार अंसारी का नजदीकी बताया जाता है.
सीट का इतिहास
कल्पनाथ राय
1957 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुआ. कांग्रेस के उमराव सिंह यहां से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. पूर्वांचल के इस इलाके में इसके बाद लंबे समय तक कम्युनिस्ट पार्टी का शासन रहा. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जय बहादुर सिंह 1962 में यहां से चुनाव जीते. इसके बाद 2 बार झारखंडे राय सीपीआई से चुनाव जीते. 1977 में जनता पार्टी के शिव राम राय ने जीत दर्ज की तो 1980 में झारखंडे राय फिर सीट कब्जा ली. 1984 में इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा दोबारा कायम हुआ और राजकुमार राय ने बाजी मारी. 1989 में जब देशभर में जनता दल की लहर चल रही थी तब यहां के कल्पनाथ राय ने जीत दर्ज की थी. वो यहां 1991, 1996 और 1998 में भी सांसद रहे. कल्पनाथ राय के जाने के बाद इस सीट पर फिर कभी कांग्रेस कब्जा नहीं कर पाई. 1999 में यहां बीएसपी का खाता खुला और बालकृष्ण चौहान जीते. फिर 2004 में समाजवादी पार्टी के चंद्रदेव प्रसाद राजभर ने जीत दर्ज की. 2009 में बीएसपी के टिकट पर दारा सिंह चौहान जीते. बीजेपी ने पहली कामयाबी यहां मोदी लहर में ही पाई. हरिनारायण राजभर ने पार्टी का खाता खोला.
2014 के नतीजे
बीजेपी के हरिनारायण चौधरी को उस चुनाव 3,79,797 वोट हासिल हुए थे. बीएसपी के प्रत्याशी दारा सिंह चौहान दूसरे नंबर रहे थे. उन्हें 2,33,782 वोट हासिल हुए थे. दिलचस्प बात ये है कि अब दारा सिंह चौहान में बीजेपी के विधायक हैं और राज्य सरकार में मंत्री हैं. तीसरे नंबर पर बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी थे. उनके कौमी एकता दल को महज 1,66,436 वोट मिले थे. समाजवादी पार्टी के राजीव कुमार राय चौथे नंबर पर खिसक गए थे. कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अतुल कुमार अंजान 6वें नंबर पर आए थे.
मुख्तार अंसारी
राजनीतिक और सामाजिक समीकरण
घोषी लोकसभा सीट में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं-मधुबन, घोसी, मुहम्मदाबाद गोहना, मऊ और रसड़ा. इनमें रसड़ा सीट बलिया जिले में आती है. इन पांच सीटों में तीन बीजेपी के पास हैं और दो बीएसपी के पास. इस सीट पर मतदाताओं की संख्या 18,91,112 है. इनमें 10,40,033 पुरुष और 8,50,934 महिला हैं. यहां पर बीजेपी को पीएम नरेंद्र मोदी की छवि और अपने तीन विधायकों पर भरोसा है वहीं एसपी-बीएसपी गठबंधन अपने दो विधायकों, विशेषत: मुख्तार अंसारी, के प्रभाव का इस्तेमाल जरूर करेंगे.