मेरठ:- आज के दौर में सोशल मीडिया( social media) एक बड़ी ताकत के रूप में उभरा है.जिसकी ताकत का एहसास विभिन्न घटनाओं में देखने को मिलता है. कुछ इसी तरह की ताकत का एहसास किसान आंदोलन में भी देखने को मिला.जब 26 जनवरी के दिन किसान परेड के दौरान किसी व्यक्ति द्वारा लाल किले पर अचानक झंडा फहराया गया.तब लगा कि शायद यह किसान आंदोलन समाप्त हो जाएगा.लेकिन जैसे ही किसान नेता राकेश टिकैत के आंसुओं का सैलाब आया. सोशल मीडिया पर युवाओं ने उसको शेयर करना शुरू किया. उसके बाद इस आंदोलन में नई जान पड़ी. तब से लेकर अब तक यह आंदोलन जारी है.
अन्नदाता के समर्थन में युवाओं ने की थी सोशल मीडिया पर पोस्ट
आंदोलन के दौरान जब देश भर में अनेकों बातें होने लगी.तब युवाओं ने सोशल मीडिया पर राकेश टिकैत की भावुक तस्वीरों के साथ अन्नदाता के समर्थन में आह्वान किया.जिसके बाद सोशल मीडिया पर एक तरह की नई धारणा शुरू हो गई थी.साथ ही किसान आंदोलन को समर्थन मिलना शुरू हो गया था.इतना ही नहीं युवाओं ने गाजीपुर बॉर्डर सहित अन्य स्थानों पर भी समर्थन देने के बाद भाषण दिया. सोशल मीडिया के फेसबुक इंस्टाग्राम सहित अन्य प्लेटफार्म पर शेयर किया गया. यह कारवां आगे बढ़ता गया. आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के हालात को देखते हुए और किसानों की मांग के मद्देनजर इस कानून को वापस लेना ही उचित समझा. हालांकि तकनीकी तौर से बात की जाए तो यह तीनों कानून पहले से ही लंबित चल रहे थे. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कमेटी गठित कर इस मामले पर रिपोर्ट मांगी थी. तब तक के लिए इन कानून रोक लगा दी थी. कमेटी ने रिपोर्ट भी दे दी थी लेकिन सुनवाई नहीं हो पाई.ऐसे में अब संसद में यह कानून वापिस कर लिए जाएंगे.
रिपोर्टविशाल भटनागरमेरठ
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Tags: Farmer movement, Social media, Youth, मेरठ
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