बेटी है तो कल है. बेटी पढ़ेगी बेटी तो आगे बढ़ेगी. सच कहा जाए तो बेटियां सिर्फ एक घर को नहीं बल्कि दो घरों को रोशन करती हैं. हम बात कर रहे हैं मेरठ की बेटी और शामली की बहू की. ये कहानी है मेरठ की बेटी हुमा और शामली की बहू मेहनाज़ की, जिन्होंने उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा यानि पीसीएस जे में इस बार अपने-अपने जिले का और माता-पिता का नाम रोशन किया है. इन दोनों की कहानी युवाओं को ख़ासतौर पर जरूर देखनी चाहिए, क्योंकि तमाम विपरीत परिस्थितियों को मात देते हुए इस बेटी और बहू ने कामयाबी की उड़ान भरी है.
ये कहानी है हौसलों की. ये कहानी है कठिन परिस्थितियों को मात देने की. आमतौर पर मुस्लिम घरों में बेटियों को एक समय के बाद ये कहकर पढ़ने से रोक दिया जाता है कि अब वो आगे पढ़कर क्या करेंगी, क्योंकि अब तो शादी ही करनी है. लेकिन मेरठ की बेटी हुमा ने आगे पढ़ने की ठानी और दस भाई बहनों में सबसे छोटी हुमा के सपने उड़ान भरना चाहते थे. जबकि उसके पिता का इंतकाल पहले ही हो गया था, लेकिन मेरठ की इस होनहार बेटी ने हिम्मत नहीं हारी. उसने घर वालों को समझाया और आगे पढ़ने की ठानी. आखिरकार उसने वो हासिल कर दिखाया जो इस परिवार के लिए किसी सपने से कम नहीं था. इस हुमा ने पीसीएस जे की परीक्षा पास कर ना सिर्फ मेरठ का नाम रोशन किया है बल्कि उस सोच को भी मात दी कि बेटियां पढ़कर क्या करेंगी. मेरठ के शास्त्रीनगर सेक्टर 13 निवासी हुमा सिद्दीकी ने एलएलबी मेरठ कॉलेज से की है तो एलएलएम भी वे मेरठ कॉलेज से कर रही हैं.
यही नहीं, शामली की बहू मेहनाज़ की कहानी भी कम प्रेरणादायी नहीं है. शामली के गांव बनती खेड़ा निवासी मेहनाज़ खान ने पीसीएस जे की परीक्षा पास कर ली है. हालांकि उनकी शादी हो चुकी है, लेकिन हौसले तो आसमान छूना चाहते थे. शादी के बाद भी वो पढ़ना चाहती थी और आगे बढ़ना चाहती थी. उसका यही यकीन उसे आसमान की बुलंदियों तक पहुंचा गया.
28 साल की मेहनाज़ ने बताया कि जिस वक्त उनकी शादी हुई उस वक्त वो एलएलएम कर रही थी और शादी होने के बाद भी उनके ससुराल वालों ने उस पर कोई रोक नहीं लगाई. साथ ही उसने कहा कि मुस्लिम समाज में पर्दे का ज्यादा रखरखाब होता है, लेकिन इस परिवार ने ऐसा कुछ भी नहीं किया और अपनी बहू का हौसला बढ़ाया. इसी वजह से वह आज इस मुकाम तक पहुंच सकी हैं.
इस बार यूपी PCS-J में 610 छात्र और छात्राओं का चयन हुआ है, जिसमें 39 मुस्लिम (19 महिलाएं) शामिल हैं.
मेहनाज़ खान एक बहुत गरीब किसान की बेटी है. इनके पिता ने मेहनत मजदूरी कर अपनी बेटी को आज इस मुकाम पर पहुंचा दिया. तकरीबन बीस साल तक इनके पिता बेरोज़गार रहे, लेकिन बेटियों के सपनों को उन्होंने मरने नहीं दिया. यही वजह है कि आज वो इस मंज़िल को पा सकी है.
बहरहाल, मेरठ की बेटी और शामली की बहू की कहानी युवाओं को प्रेरित करती है कि अगर हौसले ज़िन्दा हैं तो कामयाबी कदम चूमेगी.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
FIRST PUBLISHED : July 23, 2019, 19:33 IST