मेरठः Corona Warriors को नहीं मिला पांच माह से वेतन, प्रिंसिपल को जाकर सुनाया दुखड़ा

लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के आउटसोर्सिंग कर्मियों को 5 माह से वेतन नहीं, आर्थिक हालात बिगड़े
लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को पांच माह से वेतन नहीं मिला. कोविड वैक्सिनेशन के दौरान सोमवार को वह प्रिंसिपल के सामने अपना दुखड़ा सुनाने पहुंच गए. उन्होंने अपनी आर्थिक परेशानियां बताईं. इस पर प्रिंसिपल ने उन्हें जल्द वेतन दिलाने का आश्वासन दिया है.
- News18Hindi
- Last Updated: March 1, 2021, 10:18 PM IST
मेरठ. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ (Meerut) में आउटसोर्सिंग पर रखे गए स्वास्थ्य कर्मियों को पांच महीने से सैलरी नहीं मिली है. लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज (Lal Lajpat Rai Medical College) में जहां एक तरफ साठ साल की उम्र को पार कर चुके लोग वैक्सीनेशन को लेकर उत्साहित थे, तो दूसरी तरफ यहां आउटसोर्सिंग पर काम करने वाला स्टाफ निराश दिखाई दिया. अपनी बात रखने के लिए आउटसोर्सिंग पर काम करने वाला स्टाफ वैक्सीनेशन वाली जगह पर पहुंच गया. इस पर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर ज्ञानेन्द्र का कहना है, कि बहुत जल्द इस समस्या का समाधान किया जाएगा.
आउटसोर्सिंग पर काम करने वाले स्टाफ का कहना है कि उन्हें महीने के बीस हज़ार रुपए मिलते हैं, लेकिन पिछले कई महीनों से उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है. वेतन न मिलने से मांग -मांग कर गुज़ारा करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि अब तो ऑटोवाले को भी देने को पैसे नहीं बचे हैं. महिलाओं का कहना है कि घर का बजट डगमगा गया है और बिना पैसे के खर्चा चलाना मुश्किल हो गया है. इन कोरोना वॉरियर्स का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान भी वो अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे थे. कईयों को तो इस दौरान कोरोना भी हो गया. जान की बाजी लगाकर काम करने के बाद अब उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है.
अनुबंध खत्म होने की चर्चा
कर्मचारियों का कहना है कि और तो और अब मार्च में कांट्रेक्ट खत्म करने की बात भी कही जा रही है. इन लोगों का कहना है कि कोई दो सौ किलोमीटर तो कोई तीन सौ किलोमीटर से आकर यहां नौकरी कर रहा है. किराया देने के लिए भी पैसा नहीं है. इन कर्मचारियों का कहना है कि अब वो अनाथ जैसा महसूस कर रहे हैं. दो हाजार सोलह से आउटसोर्सिंग का ये स्टाफ मेडिकल कॉलेज में काम कर रहा है.वहीं, मेडिकल कॉलेज डॉक्टर ज्ञानेन्द्र के प्रिंसिपल का कहना है कि बजट नहीं था. प्रयास किया जा रहा है कि बजट जल्द से जल्द मिल जाए. जैसे ही बजट आ जाएगा वैसे ही पेमेंट कर दिया जाएगा. प्रिंसिपल का कहना है कि लगातार इस पर बातचीत की जा रही है. और जल्द ही इस समस्या का समाधान कर दिया जाएगा. सैलरी देना न देना कम्पनी पर आधारित है और ये कम्पनी का दायित्व है कि वो सैलरी दे. उन्होंने कहा कि हम कम्पनी को इसका पेमेंट करेंगे. कम्पनी और मेडिकल कॉलेज प्रशासन के बीच अगर कोई पिस रहा है तो आउटसोर्सिंग स्टाफ जिन्होंने लॉकडाउन के वक्त कोरोना वॉरियर बनकर काम किया और आज भी कर रहे हैं.
आउटसोर्सिंग पर काम करने वाले स्टाफ का कहना है कि उन्हें महीने के बीस हज़ार रुपए मिलते हैं, लेकिन पिछले कई महीनों से उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है. वेतन न मिलने से मांग -मांग कर गुज़ारा करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि अब तो ऑटोवाले को भी देने को पैसे नहीं बचे हैं. महिलाओं का कहना है कि घर का बजट डगमगा गया है और बिना पैसे के खर्चा चलाना मुश्किल हो गया है. इन कोरोना वॉरियर्स का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान भी वो अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे थे. कईयों को तो इस दौरान कोरोना भी हो गया. जान की बाजी लगाकर काम करने के बाद अब उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है.
अनुबंध खत्म होने की चर्चा
कर्मचारियों का कहना है कि और तो और अब मार्च में कांट्रेक्ट खत्म करने की बात भी कही जा रही है. इन लोगों का कहना है कि कोई दो सौ किलोमीटर तो कोई तीन सौ किलोमीटर से आकर यहां नौकरी कर रहा है. किराया देने के लिए भी पैसा नहीं है. इन कर्मचारियों का कहना है कि अब वो अनाथ जैसा महसूस कर रहे हैं. दो हाजार सोलह से आउटसोर्सिंग का ये स्टाफ मेडिकल कॉलेज में काम कर रहा है.वहीं, मेडिकल कॉलेज डॉक्टर ज्ञानेन्द्र के प्रिंसिपल का कहना है कि बजट नहीं था. प्रयास किया जा रहा है कि बजट जल्द से जल्द मिल जाए. जैसे ही बजट आ जाएगा वैसे ही पेमेंट कर दिया जाएगा. प्रिंसिपल का कहना है कि लगातार इस पर बातचीत की जा रही है. और जल्द ही इस समस्या का समाधान कर दिया जाएगा. सैलरी देना न देना कम्पनी पर आधारित है और ये कम्पनी का दायित्व है कि वो सैलरी दे. उन्होंने कहा कि हम कम्पनी को इसका पेमेंट करेंगे. कम्पनी और मेडिकल कॉलेज प्रशासन के बीच अगर कोई पिस रहा है तो आउटसोर्सिंग स्टाफ जिन्होंने लॉकडाउन के वक्त कोरोना वॉरियर बनकर काम किया और आज भी कर रहे हैं.