मेरठः बदलते दौर की बात करें तो जिस प्रकार मनुष्य की आबादी बढ़ती जा रही है. वह अपने रहन-सहन के लिए जंगली क्षेत्रों में भी घर बनाने लगे है. लेकिन मनुष्य यह भूल जाता है कि जंगलों में भी पशुओं की आबादी बढ़ रही है और जंगल का क्षेत्रफल कम हो रहा है जिसके कारण पिछले कुछ सालों में शहरी क्षेत्रों में तेंदुए, बंदर, हिरन सहित अन्य जानवरों का तेजी से आवागमन देखने को मिल रहा है.
मनुष्य जंगलों में आवास बनाने की सोचता है. तब उसे किसी प्रकार का डर नहीं लगता. लेकिन कोई भी जंगली पशु अगर शहर की तरफ आ जाएतो मनुष्य उससे परेशान हो जाता है. जिसका उदाहरण मेरठ में देखने को मिल रहा है. मेरठ में कुछ दिन से तेंदुए को लेकर आतंक देखने को मिल रहा है. वहीं बंदरों के आतंक से भी लोग परेशान हैं. जिसके लिए वन विभाग ,नगर निगम की टीम से गुहार लगा रहा है .
News18local से खास बातचीत करते हुए एडवोकेट आदेश प्रधान व एडवोकेट गगन सोम सहित अन्य लोगों ने कहा कि यह हकीकत है कि सस्ती जमीन के चक्कर में अब शहरी क्षेत्र से बाहर जंगलों के आसपास कालोनियां बन रही है . मगर इस कारण हम से प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे है .ऐसे में सरकार को ठोस रणनीति बनानी चाहिए. जिससे कि जंगली पशुओं को भी दिक्कत ना हो.
जानवरों की भी बढ़ रही है संख्या
मेरठ रेंज के डीएफओ राजेश कुमार ने कहा कि जिस तरीके से मनुष्य की आबादी बढ़ती जा रही है. उसी प्रकार अगर जानवरों की बात करें तो उनकी संख्या में भी इजाफा हो रहा है. हालांकि वन क्षेत्र की बात की जाए तो वह पर्याप्त मात्रा में है.लेकिन देखा जाता है कि घूमते घूमते तेंदुआ सहित अन्य जानवर गन्ने के खेतों को सुरक्षित स्थान समझ लेता है. लेकिन जैसे ही गन्ने की खेत की कटाई होती है तो वह उस स्थान को छोड़कर शहरी क्षेत्र में आ जाता है. हालांकि घबराने की बात नहीं है. यह एक सामान्य घटना है. ऐसी कोई भी बात हो तो सूचित करें.
बताते चलें कि मेरठ में काफी घटनाएं हो चुकी हैं. जहां तेंदुए देखने को मिले हैं. वहीं एक माह पूर्व कमिश्नर ऑफिस के पास बारहसिंघा की प्रजाति का भी एक जानवर आवासीय कालोनियों में आ गया था. हालांकि वन विभाग की टीम ने सुरक्षित पकड़ कर जंगल भेज दिया था. वहीं बंदर भी शहरी क्षेत्रों में तीव्र गति से बढ़ते जा रहे है .
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