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Meerut News: दिव्‍यांग राजू करते हैं गांधारी तालाब की सुरक्षा, पढ़ें मेरठ के परीक्षितगढ़ किले का इतिहास

Parikshitgarh Fort Meerut: मेरठ के परीक्षितगढ़ किले में एक अनोखी आस्था की मिसाल देखने को मिलती है. दरअसल पिछले 30 वर्षो ...अधिक पढ़ें

    रिपोर्ट: विशाल भटनागर

    मेरठ. पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ से लगभग 30 किलोमीटर दूर परीक्षितगढ़ किले में अटूट आस्था की मिसाल देखने को मिलती है. जहां एक व्यक्ति 90 फीसदी दृष्टिहीन होने के बावजूद भी आस्था के बल पर निरंतर मंदिरों की साफ सफाई के साथ-साथ अनेकों प्रकार की व्यवस्था की कमान संभाल रहा है. हम बात कर रहे हैं, महाभारत कालीन परीक्षितगढ़ किले की. मान्‍यता है कि जहां कभी महारानी गंधारी तालाब में स्नान करने के लिए आती थीं. उसी तालाब की साफ-सफाई की व्यवस्था 90 फीसदी दृष्टिहीन दिव्यांग राजू करते हैं.

    राजू ने News 18 Local से खास बातचीत करते हुए बताया कि बचपन में ही उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी. काफी प्रयास किया गया, लेकिन उनकी आंखों की रोशनी नहीं लौट पाई. ऐसे में उन्होंने मां गंधारी तालाब के आसपास की व्यवस्था देखना शुरू की. इतना ही नहीं गांधारी तलाब के साथ-साथ बाबा मोहन राम मंदिर में भी साफ सफाई के साथ विशेष पूजा अर्चना करते हैं. उनका कहना है कि जब से उन्होंने यहां व्यवस्था संभाली है. उन्हें मिर्गी के दोरे भी नहीं पड़ते थे और अब बिना उपचार के ठीक हैं.

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    परीक्षितगढ़ किले को लेकर ये है मान्‍यता
    बताते चलें कि हस्तिनापुर और परीक्षितगढ़ किले का महाभारत कालीन इतिहास माना जाता है. मान्‍यता है कि हस्तिनापुर से महराजा धृतराष्ट्र की पत्नी महारानी गांधारी तालाब में स्नान करने के लिए आती थीं. एक दिन स्नान करने के बाद उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी. वह अपने पति के साथ जीवन भर इसी तरीके से रही.

    सुरंग का भी होता है जिक्र
    किदंवती तो यह भी है कि तालाब के पास एक सुरंग भी बनी हुई है. जिससे वह हस्तिनापुर से किला परीक्षितगढ़ तक सफर तय करते हुए पहुंचती थीं. जहां गांधारी की मूर्ति बनी हुई है. वहीं लोगों की विशेष आस्था है. यहां एक प्राचीन मंदिर भी है. जहां भक्त विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते हैं.

    Tags: Meerut news, UP news

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