रिपोर्ट- विशाल भटनागर
मेरठ. बदलते दौर की बात की जाए तो टेक्नोलॉजी एक सशक्त माध्यम बन गई है. जिसके माध्यम से घर बैठे ही लोगों की समस्याओं का निवारण हो रहा है. कुछ इसी तरह का नजारा अब अस्पतालों में भी देखने को मिल रहा है. जहां ई-संजीवनी ऐप के माध्यम से घर बैठे मरीजों की समस्याओं का निवारण किया जा रहा है. आप सोचेंगे से कैसे होगा. इसके लिए उत्तर प्रदेश शासन द्वारा एनएचएम के माध्यम से मेडिकल अफसरों की पूरी टीम तैयार की गई है. जो कि उत्तर प्रदेश के समस्त जिले के जिला अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी केंद्र पर तैनात है.
लजिला अस्पताल के डॉक्टर पीयूष मंगल ने बताया कि ई-संजीवनी ऐप के माध्यम से जो भी मरीज अपनी समस्याओं के बारे में डॉक्टर को बताते हैं. डॉक्टर मरीजों की बताई समस्या के अनुसार ऑनलाइन ही दवाई लिख देते हैं. मरीजों की यह सभी समस्याएं उनके संबंधित सीएचसी और पीएचसी केंद्र के माध्यम से मेडिकल ऑफिसर को भेजी जाती है. जिसके बाद संबंधित विशेषज्ञ उनको उपचार के लिए दवाइयां लिखते है. इतना ही नहीं अगर कोई मरीज अपनी जांच रिपोर्ट भी अपलोड करना चाहे तो वह भी ऐप के माध्यम से अपलोड कर सकता है. उस रिपोर्ट को देखने के बाद भी विशेषज्ञ दवाई लिखते हैं.
छोटी बीमारियों के लिए बेहतर माध्यम
डॉक्टरों के अनुसार जो मरीज बुजुर्ग हैं. वह जिला अस्पताल या सीएचसी ,पीएचसी तक नहीं आ सकते हैं. वह सभी मरीज इस ऐप का उपयोग कर सकते हैं. इस ऐप के मोबाइल नंबर डालने के बाद संबंधित व्यक्ति की पेशेंट आईडी बन जाती है. जिसके बाद वह अपनी सभी समस्याओं को संबंधित विशेषज्ञों को अवगत करा सकता है. इस ऐप के माध्यम से पहले कॉल सीएचसी केंद्र को जाती है. उसके बाद वह मेडिकल ऑफिसर को ट्रांसफर करते हैं.
सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक ऑनलाइन उपचार
टेली मेडिसिन के तहत ई-संजीवनी ऐप के माध्यम से सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक जिला अस्पताल में विशेषज्ञों की टीम मरीजों की बीमारी का निदान करते हुए नजर आती है. विशेषज्ञ के लिए कम से कम 50 मरीजों को ऑनलाइन सलाह और उपचार देते है. अगर आप भी ई-संजीवनी ऐप के माध्यम से उपचार प्राप्त करना चाहते है. तो आप गूगल प्ले स्टोर से जाकर ई-संजीवनी ऐप को इंस्टॉल कर सकते हैं. ऐप अपलोड होने के बाद आपको उसमें अपना नंबर डालना होगा. जिसके बाद 6 अंको का ओटीपी आएगा. जैसे ही आप ओटीपी की प्रक्रिया को पूरा करेंगे तो आपका पंजीकरण हो जाएगा. फिर संबंधित डॉक्टर से परामर्श ले सकते हैं . अगर किसी के पास एंड्राइड मोबाइल नहीं है. तो सीएचसी पीएचसी पर बैठे पर बैठे अधिकारी मदद करेंगे.
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