उत्तर प्रदेश Uttar-pradesh में एक तरफ जहां प्रत्याशी candidate चुनाव जीतने के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं.वहीं हर किसी के जुबान पर सिर्फ मेरठ शहर की विधानसभा सीट 48 को लेकर चर्चा गर्म है.वैसे तो मेरठ जिले में कुल 7 विधानसभा सीट हैं.लेकिन सियासी समीकरण के हिसाब से सदर की सीट काफी अहम मानी जाती है.इस सीट पर मुस्लिम वोटर प्रत्याशी को जिताने और हराने में अहम भूमिका निभाते हैं.यही कारण था कि भाजपा की लहर में भी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर लक्ष्मीकांत बाजपेई को सपा प्रत्याशी रफीक अंसारी द्वारा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन अबकी बार भाजपा ने डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेईके शिष्य कमल दत्त शर्मा को प्रत्याशी बनाकर दांव खेला है.वहीं बसपा ने मोहम्मद दिलशाद और कांग्रेस ने रंजन शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है.इन्हीं बातों को देखते हुए NEWS-18 LOCAL MEERUT की टीम ने सदर विधानसभा City Assembly seat सीट पर जनता का मिजाज जाना.जनता ने न्यूज-18 लोकल की टीम से बातचीत करते हुए कहा कि जिन मुद्दों को लेकर उन्होंने शहर विधायक को वोट दिए थे.उन मुद्दों पर आज तक कोई कार्य नहीं हो पाया.ऐसे में अबकी बार वह जिस प्रत्याशी को वोट देंगे. उससे पहले उसकी वादों की लिस्ट को परखेंगे.ताकि क्षेत्र का विकास हो सके.
जनता की ये रहेंगेप्रमुख मुद्दे
जनता ने कहा कि जिन मुद्दों को लेकर वर्ष 2017 में वोट किया था. वह मुद्दे अभी बने हुए हैं.क्योंकि गलियों की बात की जाए तो पूर्व की योजना में जो सड़कें बनी थीं.वहीं सड़कें भी खस्ताहाल बनी हुई हैं. साथ ही पानी की निकासी के लिए भी कोई बेहतर कार्य नहीं हो पाया है.इतना ही नहीं हापुड़ अड्डे से लेकर भूमिया के पुल तक जो भी रास्ता जाता है उसकी भी हालत बद् से बद्तर है.इसी तरीके से जाम की समस्या भी जस की तस बनी हुई है.जिससे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.ऐसे में अबकी बार भी उन्हीं मुद्दों को लेकर वोट करेंगे.
यह है शहर सीट का समीकरण
आज के दौर में राजनीति की बात की जाए तो जातिगत आंकड़े काफी अहम माने जाते हैं.कुल वोटरों की संख्या की बात की जाए तो यह संख्या चार लाख है.इस सीट पर सीधे हिंदू-मुस्लिम का चुनाव होता है.क्योंकि मुस्लिम वोटों में बटवारा होने का सीधा फायदा जहां भाजपा को मिलता है. वहीं वर्ष 2017 के चुनाव की बात करें तो बसपा द्वारा हिंदू प्रत्याशी को खड़ा कर दिया था.जिससे कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी को भी नुकसान झेलना पड़ा था.भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर लक्ष्मीकांत बाजपेई को सपा नेता रफीक अंसारी द्वारा वर्ष 2017 के चुनाव में हरा दिया गया था. जबकि इससे पूर्व वर्ष 2012 में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर लक्ष्मीकांत बाजपेई ने रफीक अंसारी को हराया था.
रिपोर्ट विशाल भटनागर मेरठ
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Meerut news, UP Assembly Elections 2022