यूपी की जेलों (Prison of Uttar Pradesh) में कैदियों (Prisoners) को रखने की क्षमता साठ हज़ार है जबकि आंकड़ों के मुताबिक़ इस वक्त प्रदेश की जेलों में एक लाख सात हज़ार कैदी बंद हैं. ओवरक्राउंडिंग की इस समस्या पर डीजी जेल से news 18 संवाददाता ने ख़ास बातचीत की.
मेरठ पहुंचे डीजी जेल आनंद कुमार (DG Jail Anand Kumar) ने कहा कि जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों का होना एक बड़ी समस्या है और इसे दूर करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यूपी में चार ज़िला जेलें निर्माणाधीन हैं और अम्बेडकरनगर जेल का लोकार्पण हो चुका है. साथ ही उन्होंने बताया कि इटावा जेल और बरेली की नई जेल को सेंट्रल जेल (Central Jail) घोषित किया गया है. उनका कहना है कि आने वाले तीन साल में जेलों में ओवरक्राउंडिंग की समस्या और कम होगी. डीजी जेल ने भी माना कि मेरठ ज़िला कारागार में पचपन प्रतिशत ओवरक्राउड है. यहां 18 सौ की क्षमता के सापेक्ष 25 सौ बंदी मौजूद हैं. डीजी जेलने कहा कि बंदी को न्यायालय में पेश करने का रिस्क भी आने वाले समय में खत्म हो जाएगा. क्योंकि अब ट्रायल की कार्रवाई भी जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हो सके इस दिशा में भी प्रयास किया जा रहा है. डीजी जेल आनंद कुमार मेरठ ज़िला कारागार का निरीक्षण करने यहां पहुंचे हुए थे.
इस दौरान बंदियों से मिलने आने वाले लोगों के बैठने के लिए बनाए गए विज़िटर्स शेड का भी उदघाटन किया. डीजी जेल की मौजूदगी में मेरठ ज़िला कारागार में आज से जेल रेडियो (Jail Radio) की शुरुआत हो गई है. उन्होंने बताया कि मेरठ ज़िला कारागार यूपी की 26 वीं जेल है जहां जेल रेडियो की शुरुआत हुई है. उन्होंने कहा कि जेल रेडियो गेमचेंजर हो गया है. अवसाद कम करने में जेल रेडियो का बड़ा रोल है. डीजी जेल ने कहा कि बंदियों में जेल रेडियो का अच्छा असर पड़ रहा है. डीजी जेल ने बताया कि जेलों में व्यवसाय के भी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. ईग्नू के क्लासेज़ भी जेलों में चलाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मेरठ जेल में पिछले दो साल में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई. ये संतोष की बात है. डीजी जेल ने कहा कि सुरक्षा को लेकर मेरठ ज़िला कारागार में व्यापक प्रबंध किए गए हैं. पूरा जेल परिसर सीसीटीवी से लैस है. लखनऊ से हर जेल की मॉनिटरिंग भी जा रही है.
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FIRST PUBLISHED : February 07, 2020, 22:58 IST