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मेरठ के इस संग्रहालय में मौजूद है 1806 में बना हुआ पानी का घड़ा, जानें क्या है खासियत?

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में बने संग्रहालय में 1830 के बीच में उपयोग किए गए घडों में से एक घड़े को ...अधिक पढ़ें

    रिपोर्ट विशाल भटनागर
    मेरठः भले ही आज हमें आसानी से पानी उपलब्ध हो जाता हो. लेकिन आज से 200 साल पुराना इतिहास ऐसा भी है. जब पानी के लिए आमजन को कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी. उसी दौरान का एक घड़ाआज भी चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में बने सांस्कृतिक धरोहर और स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय मैं मौजूद है. दरअसल घड़े के बारे में उल्लेख है कि ईस्ट इंडिया कंपनी की जो गौरी पलटी थीइसी घड़े के माध्यम से पानी पीती थी.

    इतिहासकार प्रोफेसर विघ्नेश त्यागी बताते हैं कि ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा जब भारत में शासन किया था. तब पानी के लिए कुएं,नदी ही स्त्रोत हुआ करती थी. ऐसे में जो भी पलटन हुआ करती थी. उसके लिए इसी तरह के खास घड़े रखे जाते थे. साथियों ने पानी पीने के लिए बार-बार कुएं या नदी के समीप ना जाना पड़े. इसीलिए मेरठ में अंग्रेजी सेना की गौरी पलटन थी. वह इस घंडे के माध्यम से पानी पीती थी.

    सेंट जॉन चर्च के पास से मिला था घड़ा
    प्रोफेसर त्यागी की माने तो वह विभिन्न ऐसे ऐतिहासिक तथ्यों को एकत्रित करने के लिए लगे रहते हैं. इसी कड़ी में जो सेंट जॉन मेरठ का ऐतिहासिक चर्च है .उसके पास जो कर्मचारी रहते हैं. उनके पास यह घड़ा रखा हुआ था. प्रोफेसर त्यागी ने जब इस घड़े को देखा तो उसके बारे में जानकारी प्राप्त करते हुए इस घड़े को अपने पास ले आए. उन्होंने बताया कि ईस्ट इंडिया कंपनी के बाद इस घड़े का उपयोग सेंट जॉन चर्च जब बनी थी. तो जो कर्मचारी और मजदूर थे वह भी उपयोग करते थे. बताते चलें कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में अभी जो नैक की टीम आई थी. उसने भी इस संग्रहालय का अवलोकन किया था. विश्वविद्यालय की इन्हीं सभी खूबियों को देखते हुए विवि को ए ++ ग्रेड मिला है.

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    Tags: Meerut news, Uttar pradesh news

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