सूर्य प्रताप शाही ने दलित आंदोलन में हिंसा के लिए सपा-बसपा पर साधा निशाना
शाही आगे ने कहा कि विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की गलत व्याख्या करके दलितों के बीच गफलत पैदा करने की कोशिश की और उन्हें आरक्षण समाप्त होने, एससी-एसटी एक्ट में संशोधन होने और केंद्र सरकार के उदासीन होने की बातें कहकर बरगलाया
- News18 Uttar Pradesh
- Last Updated: April 5, 2018, 10:33 AM IST
मिर्जापुर जिले में बुधवार को मां विंध्यवासनी के दर्शन के लिए पहुंचे कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने भारत बंद के दौरान प्रदेश में हिंसा के लिए कांग्रेस और सपा-बसपा पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने दलित आंदोलन के दौरान हुए हिंसा को गैर-जिम्मेदाराना करार देते हुए कहा कि इसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है.
बकौल सूर्य प्रताप शाही, सुप्रीम कोर्ट ने कल ही कहा है कि एसटी-एसटी एक्ट में कोर्ट ने कोई परिवर्तन नहीं किया है, केवल इतना कहा था कि किसी घटना की जांच होने 7 दिन के भीतर आरोपी गिरफ्तार किया जाए, क्योंकि सच जाने बगैर किसी की गिरफ्तारी दूसरे के अधिकारों का हनन है.
शाही आगे ने कहा कि विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की गलत व्याख्या करके दलितों के बीच गफलत पैदा करने की कोशिश की और उन्हें आरक्षण समाप्त होने, एससी-एसटी एक्ट में संशोधन होने और केंद्र सरकार के उदासीन होने की बातें कहकर बरगलाया जबकि केंद्र सरकार ने 6 दिनों के भीतर ही पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दिया था.
दलित आंदोलन के दौरान हुए उग्र और हिंसक आंदोलन पर शाही ने कहा कि सभी को उचित तरीके से अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन किसी को कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है. हिंसा के बजाय लोग अदालत में अपना पक्ष रखते तो अधिक जिम्मेदारीपूर्ण होता.वहीं, किसानों के ऋण माफी के बाद भी बैंकों द्वारा नोटिस जारी करने पर कृषि मंत्री ने कहा है कि केवल उन्हीं किसानों का ऋण माफ किया गया है जिन पर फसली बीमा का ऋण थ. इसमें ट्रैक्टर और मशीन के लिए लिया गया बैंक ऋण शामिल नहीं है.
बकौल सूर्य प्रताप शाही, सुप्रीम कोर्ट ने कल ही कहा है कि एसटी-एसटी एक्ट में कोर्ट ने कोई परिवर्तन नहीं किया है, केवल इतना कहा था कि किसी घटना की जांच होने 7 दिन के भीतर आरोपी गिरफ्तार किया जाए, क्योंकि सच जाने बगैर किसी की गिरफ्तारी दूसरे के अधिकारों का हनन है.
शाही आगे ने कहा कि विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की गलत व्याख्या करके दलितों के बीच गफलत पैदा करने की कोशिश की और उन्हें आरक्षण समाप्त होने, एससी-एसटी एक्ट में संशोधन होने और केंद्र सरकार के उदासीन होने की बातें कहकर बरगलाया जबकि केंद्र सरकार ने 6 दिनों के भीतर ही पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दिया था.
दलित आंदोलन के दौरान हुए उग्र और हिंसक आंदोलन पर शाही ने कहा कि सभी को उचित तरीके से अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन किसी को कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है. हिंसा के बजाय लोग अदालत में अपना पक्ष रखते तो अधिक जिम्मेदारीपूर्ण होता.वहीं, किसानों के ऋण माफी के बाद भी बैंकों द्वारा नोटिस जारी करने पर कृषि मंत्री ने कहा है कि केवल उन्हीं किसानों का ऋण माफ किया गया है जिन पर फसली बीमा का ऋण थ. इसमें ट्रैक्टर और मशीन के लिए लिया गया बैंक ऋण शामिल नहीं है.