VIDEO: नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा का दर्शन कर निहाल हुए भक्त
नवरात्रों में चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरुप में मां दुर्गा की उपासना की जाती है. मान्यता है कि मां कूष्माण्डा की उपासना से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है
- News18Hindi
- Last Updated: March 21, 2018, 11:08 AM IST
चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन बुधवार को जगत जननी मां विन्ध्यवासिनी धाम में मां कूष्मांडा की विधिवत पूजा-अर्चना की गई. सुबह-सुबह मां की मंगला आरती के बाद मंदिर के बाहर मां के दर्शन और उनकी एक झलक पाने के लिए भक्तों को सैलाब उमड़ा हुआ है, जहां घंटों और घड़ियालों की गूंज से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया.
नवरात्रों में चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरुप में मां दुर्गा की उपासना की जाती है. मान्यता है कि मां कूष्माण्डा की उपासना से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है. अपनी मंद हंसी से अण्ड अर्थात् ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी के नाम से अभिहित किया गया है.
यानी जब सृष्टि का त्व नहीं था, चारों ओर अंधकार ही अंधकार परिव्याप्त था तब इन्हीं देवी ने अपने ईषत् हास्य से ब्रह्माण्ड की रचना की थी. मां कुष्मांडा सृष्टि की आदि-स्वरूपा आदि शक्ति कहा जाता है, जिनके पूर्व ब्रह्माण्ड का अस्तित्व था ही नहीं.
आठ भुजाओं वाली मां कुष्मांडा के सात हाथों में क्रमश: कमण्डल, धनुष-बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा शोभायमान हैं जबकि उनके आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप-माला है. इनका वाहन सिंह है. विंध्यधाम के पुजारी मिट्ठू मिश्रा मां कुष्मांडा की महिमा का बखान करते हुए कहते हैं कि मां सृष्टि की देवी है और पूरे जगत का सृजन मां ने ही किया है.
नवरात्रों में चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरुप में मां दुर्गा की उपासना की जाती है. मान्यता है कि मां कूष्माण्डा की उपासना से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है. अपनी मंद हंसी से अण्ड अर्थात् ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी के नाम से अभिहित किया गया है.
यानी जब सृष्टि का त्व नहीं था, चारों ओर अंधकार ही अंधकार परिव्याप्त था तब इन्हीं देवी ने अपने ईषत् हास्य से ब्रह्माण्ड की रचना की थी. मां कुष्मांडा सृष्टि की आदि-स्वरूपा आदि शक्ति कहा जाता है, जिनके पूर्व ब्रह्माण्ड का अस्तित्व था ही नहीं.
आठ भुजाओं वाली मां कुष्मांडा के सात हाथों में क्रमश: कमण्डल, धनुष-बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा शोभायमान हैं जबकि उनके आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप-माला है. इनका वाहन सिंह है. विंध्यधाम के पुजारी मिट्ठू मिश्रा मां कुष्मांडा की महिमा का बखान करते हुए कहते हैं कि मां सृष्टि की देवी है और पूरे जगत का सृजन मां ने ही किया है.