अयोध्या में किसी भी कीमत पर मस्जिद का निर्माण नहीं होने देंगे: महंत सुरेश दास

महंत सुरेश दास
महंत सुरेश दास ने कहा कि अयोध्या के लोगों और पक्षकारों को मध्यस्थता में शामिल करना चाहिए. हम सुप्रीम कोर्ट का स्वागत करते हैं. मध्यस्थता बोर्ड में तो हम लोगों और पक्षकारों को होना ही चाहिए.
- News18 Uttar Pradesh
- Last Updated: March 9, 2019, 1:03 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए मध्यस्थता के आदेश दे दिए हैं. इस फैसले के बाद अयोध्या के दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास ने कहा कि वो किसी भी कीमत पर अयोध्या में मस्जिद का निर्माण नहीं होने देंगे. सोनभद्र पहुंचे सुरेश दास ने अयोध्या विवाद में मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि मध्यस्थता तो पहले भी हो चुकी है, लेकिन उसका कोई परिणाम नहीं निकला. इसलिए सुप्रीम कोर्ट को स्पष्ट फैसला देना चाहिए. अगर श्री श्री रविशंकर कहें कि वहां मंदिर और मस्जिद दोनों का निर्माण हो तो क्या हम मान लेंगे? उन्होंने कहा, अयोध्या में केवल राम मंदिर का ही निर्माण होगा.
महंत सुरेश दास ने कहा, 'अयोध्या के लोगों और पक्षकारों को मध्यस्थता में शामिल करना चाहिए. हम सुप्रीम कोर्ट का स्वागत करते हैं. मध्यस्थता बोर्ड में तो हम लोगों और पक्षकारों को होना ही चाहिए. अयोध्या में केवल मंदिर बनेगा वो किसी भी कीमत पर अयोध्या में मस्जिद का निर्माण नहीं होने देंगे.'
बता दें कि मध्यस्थों में तीन सदस्यों को शामिल किया गया है. मध्यस्थता बोर्ड के सदस्यों में श्रीश्री रविशंकर के साथ ही श्रीराम पंचू को भी शामिल किया गया है. मध्यस्थता बोर्ड के अध्यक्ष कलिफुल्लाह होंगे. अगले हफ्ते मध्यस्थता की बैठक फैजाबाद में होगी. जिसके बाद आठ हफ़्तों में सुलह की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि इस पूरी मध्यस्थता की रिपोर्टिंग नहीं होगी. यानि मध्यस्थता पूरी तरह से गोपनीय होगी और चार हफ्ते में इसकी प्रोग्रेस रिपोर्ट भी कोर्ट को सौंपनी होगी. इसके बाद आठ हफ़्तों के भीतर मध्यस्थता में क्या निकला इसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश करनी होगी.गौरतलब है कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद मध्यस्थता के लिए नाम सुझाने को कहा था. सुनवाई के दौरान जस्टिस बोबडे ने कहा है कि इस मामले में मध्यस्थता के लिए एक पैनल का गठन होना चाहिए.
(रिपोर्ट: अनूप कुमार)
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महंत सुरेश दास ने कहा, 'अयोध्या के लोगों और पक्षकारों को मध्यस्थता में शामिल करना चाहिए. हम सुप्रीम कोर्ट का स्वागत करते हैं. मध्यस्थता बोर्ड में तो हम लोगों और पक्षकारों को होना ही चाहिए. अयोध्या में केवल मंदिर बनेगा वो किसी भी कीमत पर अयोध्या में मस्जिद का निर्माण नहीं होने देंगे.'
बता दें कि मध्यस्थों में तीन सदस्यों को शामिल किया गया है. मध्यस्थता बोर्ड के सदस्यों में श्रीश्री रविशंकर के साथ ही श्रीराम पंचू को भी शामिल किया गया है. मध्यस्थता बोर्ड के अध्यक्ष कलिफुल्लाह होंगे. अगले हफ्ते मध्यस्थता की बैठक फैजाबाद में होगी. जिसके बाद आठ हफ़्तों में सुलह की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि इस पूरी मध्यस्थता की रिपोर्टिंग नहीं होगी. यानि मध्यस्थता पूरी तरह से गोपनीय होगी और चार हफ्ते में इसकी प्रोग्रेस रिपोर्ट भी कोर्ट को सौंपनी होगी. इसके बाद आठ हफ़्तों के भीतर मध्यस्थता में क्या निकला इसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश करनी होगी.गौरतलब है कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद मध्यस्थता के लिए नाम सुझाने को कहा था. सुनवाई के दौरान जस्टिस बोबडे ने कहा है कि इस मामले में मध्यस्थता के लिए एक पैनल का गठन होना चाहिए.
(रिपोर्ट: अनूप कुमार)
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