27 वर्षों से साइकिल पर घूम-घूमकर लगाते हैं पाठशाला...

27 वर्षों से साइकिल पर घूम-घूमकर लगाते हैं पाठशाला...
आदित्य ने बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित किया. 10 हजार से अधिक रातें वह फुटपाथ पर गुजार चुके हैं. बीबीसी ने दुनिया का श्रेष्ठ शिक्षक नवाजा तो भारत सरकार ने संसद भवन में इन को सम्मानित किया.
- News18 Uttar Pradesh
- Last Updated: November 12, 2019, 2:42 PM IST
मिर्जापुर. करीब 27 वर्षों से देश के विभिन्न प्रांतों में साइकिल से सफर करते हुए करीब 5 लाख किलोमीटर का सफर तय कर चुके आदित्य को 'साइकिल गुरु' के नाम से पहचान मिल चुकी है. उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से 1992 में ट्यूशन छोड़ कर शिक्षा का अलख जगाने के लिए निकले आदित्य दुनिया के श्रेष्ठ गुरु के खिताब के साथ ही 57 वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है. साइकिल ही उनकी पाठशाला है, जहां पहुंचते हैं वहीं पर क्लास लगाकर लोगों को शिक्षा का महत्व बताने लगते हैं.
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद निवासी आदित्य ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्च चलाते थे. 1992 में लोगों को जगाने बच्चों को विद्यालय भेजने की ललक इसलिए कदर पैदा हुई 1992 में उन्होंने लखनऊ से साइकिल का सफर शुरू कर किया. 27 वर्षों में उन्होंने 19 राज्यों का भ्रमण करते हुए करीब 120 करोड़ लोगों को संबोधित किया.
आदित्य ने बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित किया. 10 हजार से अधिक रातें वह फुटपाथ पर गुजार चुके हैं. बीबीसी ने दुनिया का श्रेष्ठ शिक्षक नवाजा तो भारत सरकार ने संसद भवन में इन को सम्मानित किया. दोस्तों के सहयोग से आज भी उनका सफर जारी है और वह शिक्षा को अमूल्य धन मानते हैं.
ये भी पढ़ें:रायबरेली: छात्रों ने बाल कल्याण अधिकारी को पीटा, CCTV में कैद हुई वारदात
ODF घोषित गांव में शौच को निकले युवक की तालाब में डूबकर मौत
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद निवासी आदित्य ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्च चलाते थे. 1992 में लोगों को जगाने बच्चों को विद्यालय भेजने की ललक इसलिए कदर पैदा हुई 1992 में उन्होंने लखनऊ से साइकिल का सफर शुरू कर किया. 27 वर्षों में उन्होंने 19 राज्यों का भ्रमण करते हुए करीब 120 करोड़ लोगों को संबोधित किया.
आदित्य ने बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित किया. 10 हजार से अधिक रातें वह फुटपाथ पर गुजार चुके हैं. बीबीसी ने दुनिया का श्रेष्ठ शिक्षक नवाजा तो भारत सरकार ने संसद भवन में इन को सम्मानित किया. दोस्तों के सहयोग से आज भी उनका सफर जारी है और वह शिक्षा को अमूल्य धन मानते हैं.
ODF घोषित गांव में शौच को निकले युवक की तालाब में डूबकर मौत