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Mirzapur: बीमार बेटे को बचाने की मां के संघर्ष की कहानी, गंगा में फेंक कर मार डालना चाहता था पिता

सुमन ने बताया कि डॉक्टरों ने कहा मेरे बेटे को टीबी हो गया है. छह महीने तक दवा चलाया. लेकिन, कोई आराम नहीं हुआ. उसके बाद ...अधिक पढ़ें

    मंगला तिवारी

    मिर्जापुर. यह कहानी है एक मां की जिसने अपने बेटे की जिंदगी बचाने के लिए जान लगा दी. उसने सूद पर पैसे उधार लिये, अपने गहने बेच दिए. मगर इतना सबकुछ होने पर भी इलाज के लिए और पैसों की जरूरत पड़ी तो आखिर में मकान तक गिरवी रख दिया. बीमारी से परेशान बच्चे के पिता ने उसे गंगा में फेंक कर मार डालने का प्रयास किया. लेकिन, मां ने बेटे के इलाज के लिए हर मुमकिन कोशिश की जिससे अब वो धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहा है. इस मां के चेहरे पर मुस्कुराहट वापस आ रही है.

    उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद के लालगंज तहसील के उस्का गांव की सुमन को जब बेटा पैदा हुआ तो घर में खुशी का ठिकाना नहीं था. बेटे का नाम शौर्य रखा गया. शौर्य की मुस्कान और खिलखिलाहट से उनके छोटे से परिवार में खुशी का माहौल रहता था. शौर्य का जन्म उसके माता-पिता के लिए किसी वरदान की तरह था. लेकिन, जल्द ही उनकी खुशियों पर ग्रहण लगता नजर आया जब चार महीने का उनका बेटा शौर्य बीमार पड़ने लगा.

    लोगों ने कहा- भूत प्रेत की है समस्या

    शौर्य की मां सुमन ने बताया कि बीमार होने के बाद आस-पास के लोगों ने जहां कहीं भी कहा, उन्होंने वहां अपने बच्चे को दिखाया. लेकिन, कहीं फायदा नहीं हुआ. तब लोगों ने कहा कि यह भूत-प्रेत की समस्या है, इसीलिए लड़का बीमार रहता है और दवा काम नहीं कर रही है. इसलिए सुमन अपने जिगर के टुकड़े को  झाड़-फूक करवाने लेकर गई. बाबा ने 15 हजार रुपये लिये, लेकिन बच्चे को आराम नहीं हुआ. फिर उसने मिर्जापुर से लेकर बनारस तक के कई प्राइवेट अस्पतालों के चक्कर काटे, लेकिन कहीं भी शौर्य ठीक नहीं हुआ. इस दौरान, इलाज में चार लाख रुपए से ज्यादा खर्च हो गये.

    शौर्य के पिता ने कहा- इसको फेंक दो गंगा में

    मां ने बताया कि डॉक्टरों ने कहा इसको टीबी हो गया है. छह महीने तक दवा चलाया. लेकिन, कोई आराम नहीं हुआ. उसके बाद दूसरी जगह दिखाया तो डॉक्टरों ने कहा कि इसका पाचन तंत्र खराब हो गया है, इसको बचाया नहीं जा सकता. हम निराश होकर बच्चे को लेकर घर आ गये. किसी प्रकार की कोई उम्मीद नहीं दिखाई पड़ रही थी.

    इस बीच, आंगनवाड़ी दीदी आईं और मंडलीय चिकित्सालय में इलाज के लिए चलने को कहा. हम शौर्य को लेकर वहां गये. इसकी हालत को देखकर इसके पिता टूट गए थे. उन्होंने कहा कि यह नहीं बचेगा, इसको गंगा में फेंक दो और घर वापस चलो. मैंने कहा जब तक इसकी सांस चलेगी, तब तक मैं इसको छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगी. 20 दिन एडमिट करने के बाद आखिरकार शौर्य की तबीयत में सुधार हुआ. दवा चल रही है, अब उसको लगातार आराम हो रहा है.

    शौर्य की हर संभव मदद की जा रही है

    जिला कार्यक्रम अधिकारी (बाल विकास) वाणी वर्मा ने बताया कि हमारे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने शौर्य को पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा, बच्चा सैम था. वहां जाने पर बच्चे की माता से मुझे जानकारी मिली. वहां इलाज होने पर शौर्य को काफी फायदा हुआ. उन्होंने बताया कि शुरुआत में शौर्य सैम बच्चा था, वजन काफी कम था. एनआरसी में आने पर उसका वजन सही हुआ और बैठने लगा. शौर्य के दिल में छेद भी है, जिसे निःशुल्क चिकित्सा के लिए अलीगढ़ भेजा गया था. परंतु किन्हीं कारणों से उसका ऑपरेशन अभी नहीं हो पाया है. साथ ही शौर्य को सीपी की भी समस्या है, हमारा प्रयास है की हरसंभव उसकी मदद की जाये.

    Tags: Ganga river, Mirzapur news, Motherhood, Up news in hindi

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