यूपी की अमरोहा पर लोकसभा सीटइस बार त्रिकोणीय मुकाबला होगा. बीजेपी ने एक बार फिर अपने मौजूदा सांसद कंवर सिंह तंवर पर भरोसा जताया है. वहीं गठबंधन की तरफ से बसपा के टिकट पर जेडीएस कुंवर दानिश अली मैदान में हैं. कांग्रेस ने सचिन चौधरी को मैदान में खड़ा किया है.
मुस्लिम बहुल इस सीट पर जाट बिरादरी हमेशा से निर्णायक भूमिका में रहते हैं. अमरोहा लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में 18 अप्रैल को वोटिंग होगी. वैसे तो चुनावी मैदान में 15 कैंडिडेट हैं, लेकिन बीजेपी के मौजूदा सांसद कंवर सिंह तंवर, बीएसपी के कुंवर दानिश अली और कांग्रेस के युवा चेहरे सचिन चौधरी के बीच ही मुकाबला है. इनमें दानिश मुस्लिम, कंवर सिंह तंवर गुर्जर और सचिन चौधरी जाट समाज से हैं.
अमरोहा लोकसभा सीट का इतिहास
1952 से लेकर 1971 तक इस सीट पर शुरुआती तीन बार कांग्रेस और फिर लगातार दो बार सीपीआई ने जीत दर्ज की थी. 1977, 1980 में जनता पार्टी, 1984 में कांग्रेस और 1989 में एक बार फिर जनता दल ने यहां जीत दर्ज की. 1991, 1998 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान सांसद चुने गए.
इस लोकसभा क्षेत्र की विधानसभा सीटों में वर्चस्व रखने वाली समाजवादी पार्टी सिर्फ 1996 में यहां से चुनाव जीत पाई है. 1999 में बहुजन समाज पार्टी के राशिद अल्वी ने चुनाव जीता, 2004 में ये सीट निर्दलीय और 2009 में रालोद के खाते में गई.
अमरोहा सीट का समीकरण
अमरोहा लोकसभा क्षेत्र में करीब 16 लाख वोटर हैं, इनमें से 829446 वोटर पुरुष और 714796 महिला वोटर हैं. 2014 में यहां करीब 71 फीसदी मतदान हुआ था. इस सीट पर दलित, सैनी और जाट वोटर अधिक मात्रा में हैं, जबकि मुस्लिम वोटरों की संख्या भी 20 फीसदी से ऊपर है.
अमरोहा लोकसभा क्षेत्र में कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें धनौरा, नौगावां सादत, अमरोहा, हसनपुर और गढ़मुक्तेश्वर भी शामिल हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में इनमें से सिर्फ अमरोहा सीट ही समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी, जबकि अन्य सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा था.