मुरादाबाद लोकसभा सीट पर सत्ता की चाबी मुस्लिम वोटरों के हाथ में मानी जाती है. यहां पर कुल 52.14% हिन्दू और 47.12% मुस्लिम जनसंख्या है.
पश्चिम उत्तर प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीट में से एक मुरादाबाद लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ रही थी. लेकिन बीच में इस पर समाजवादी पार्टी का कब्ज़ा हो गया. 2014 के मोदी लहर में पहली बार पीतल नगरी में कमल खिला. इस सीट से भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन भी सांसद रह चुके हैं. इस बार मुकाबला त्रिकोणीय है. मुस्लिम बाहुल इस सीट पर कांग्रेस ने पहले अभिनेता से नेता बने राजबब्बर पर दांव खेला था, लेकिन फिर प्रत्याशी बदलते हुए शायर इमरान प्रतापगढ़ी को मैदान में उतार दिया.
मुरादाबाद लोकसभा सीट से इस बार 13 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी के निवर्तमान सांसद कुंवर सर्वेश कुमार का कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी और समाजवादी पार्टी के डॉक्टर एसटी हसन के बीच है.
क्या है इस सीट का इतिहास?
मुस्लिम बाहुल मुरादाबाद सीट पर 1952 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए. शुरुआत के दो चुनावों में कांग्रेस का यहां कब्ज़ा रहा, 1967 और 1971 में ये सीट भारतीय जनसंघ के खाते में गई. इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां से चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की थी. 1980 में एक बार फिर जनता दल यहां से जीता, लेकिन 1984 में देश में चली कांग्रेस की लहर में सीट फिर कांग्रेस के खाते में गई.
जिसके बाद 1989, 1991 में ये सीट जनता दल के खाते में, 1996, 1998 में समाजवादी पार्टी के खाते में गई. कांग्रेस से टूटकर बनी जगदंबिका पाल की अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस ने 1999 चुनाव में इस सीट से जीत दर्ज की थी. 2004 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा हुआ तो वहीं 2009 में पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन यहां से सांसद चुने गए. 2014 में भारतीय जनता पार्टी पहली बार यहां से जीती थी.
मुरादाबाद लोकसभा सीट का जातिगत समीकरण
मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र में कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें बढ़ापुर, कांठ, ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद ग्रामीण और मुरादाबाद नगर शामिल हैं. इन पांच में मुरादाबाद ग्रामीण और ठाकुरद्वारा 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के खाते में गई थीं जबकि बाकी तीन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा किया था.
मुरादाबाद लोकसभा सीट पर सत्ता की चाबी मुस्लिम वोटरों के हाथ में मानी जाती है. यहां पर कुल 52.14% हिन्दू और 47.12% मुस्लिम जनसंख्या है. 2014 में इस सीट पर कुल 17 लाख से अधिक वोटर थे. इनमें 961962 पुरुष और 810084 महिला वोटर थे. पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कुल 63.7 फीसदी मतदान हुआ था. बीजेपी के कुंवर सर्वेश कुमार ने करीब 87 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी. उन्होंने समाजवादी पार्टी के डॉ. एसटी हसन को मात दी थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इस सीट पर पांचवें नंबर पर रही थी.
इस बार गठबंधन दिख रहा मजबूत
कांग्रेस ने इस बार मुस्लिम प्रत्याशी इमरान प्रतापगढ़ी को उतारकर इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है. हालांकि इस सीट पर सपा-बसपा गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही है. गठबंधन में यह सीट सपा के खाते में गई है. अगर पिछले आंकड़ों की बात करें तो समाजवादी पार्टी के डॉ. एसटी हसन 397,720वोट मिले. जबकि बसपा के हाजी मोहम्मद याकूब को 160,945 वोट मिले. इन दोनों के मतों को मिला लिया जाये तो यह बीजेपी के कुंवर सर्वेश कुमार को मिले वोट 485,224 से ज्यादा है. कांग्रेस की स्थिति इस सीट पर पिछले चुनावों पर काफी ख़राब थी.
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