रिपोर्ट:-पीयूष शर्मा
मुरादाबाद. मुरादाबाद के मुगलपुरा इलाके की किले वाली मस्जिद के पास गुल बाबा का आस्ताना है. कहा जाता है कि इस आस्ताने पर जिन्नातों का हमेशा साया रहता है. जिस किसी पर भूत प्रेत या ऊपरी हवा का असर होता है. तो उस व्यक्ति के परिजन उसे भूत प्रेत ऊपरी हवा के असर से मुक्ति दिलाने के लिए गुल बाबा के आस्ताने पर शाम 4 बजे से शाम 7 बजे के दौरान बृहस्पतिवार को पेशी कराते हैं. यहां यह भी मान्यता है कि गुल बाबा के आस्ताने पर लगातार 7 बृहस्पतिवार पेशी होने पर भूत प्रेत ऊपरी हवा के असर वाले व्यक्ति को मुक्ति मिल जाती है.
100 साल से भी पहले काबुल के रहने वाले गुल बाबा मुरादाबाद पहुंचे और यहां किले वाली मस्जिद के पास रहकर एक मदरसे का निर्माण कराया. गुल बाबा धार्मिक कार्यों में खास रुचि रखते थे. गुल बाबा को जिन्नातों को काबू में करने की महारत भी हासिल थी. गुल बाबा के निधन के बाद गुल बाबा को किले वाली मस्जिद के पास ही दफन कर दिया गया था.
कुल बाबा के दर्शन के बाद लगने लगा जिन्नातों का मजमा
गुलबाबा के दफ़न के बाद से ही वहां जिन्नातों का मजमा लगने लगा.लोगों को अक्सर गुल बाबा के द्वारा निर्माण कराए गए मदरसे में जिन्नातों के बच्चों की जोर-जोरसे पढ़ाई करने की आवाजें भी आने लगी. समय बीतता गया और फिर उसके बाद गुल बाबा के आस्ताने पर कुछ ऐसे आश्चर्यजनक कार्य स्थानीय लोगों को देखने को मिले. जिससे यह गुल बाबा का मजार जिन्नातों का मजार के नाम से धीरे धीरेमशहूर हो गया.
ऊपरी हवा या भूत प्रेत का असर
जिन लोगों के ऊपर तंत्र मंत्र करने वाले लोग ऊपरी हवा या भूत प्रेत का असर बता कर इलाज कराने की बात करते थे. उन लोगों को लोग गुल बाबा के आस्ताने पर लाने लगे.धीरे-धीरे उन लोगों को इससे फायदा भी होने लगा. तब से ही गुल बाबा का आस्ताना जिन्नातों के आस्ताने के नाम से प्रसिद्ध हो गया है. हर बृहस्पतिवार को वहां पर अगरबत्ती जला कर प्रार्थना की जाती कि ऊपरी हवा हो या फिरभूत प्रेत सब हिफाजत से रहे.
आज भी मजार पर है जिन्नों का साया
स्थानीय निवासी और वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टरकौशर अली ने बताया कि मैं बचपन से ही इस दरगाह के सामने रहता हूं. मैंने यहां बचपन से देखा और बचपन से यही पर नमाज अदा की है. तो अक्सर दोपहर में यहां असर की नमाज के समय देखने को मिलता था कि बहुत सुनसान रहता था.अंदर आते ही हमारे रोंगटे खड़े हो जाते थे. यानी कि डर लगने लगता था. यहां पर जिन्नातो का प्रवेश रहा है. बचपन में लोगों के मुंह से सुना गया था कि जिन्नात के बच्चे यहां के बच्चों के साथ तालीम हासिल किया करते थे.वर्तमान में भी लोग महसूस करते हैं कि यहां पर जिन्नो का साया है.
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Tags: Moradabad News, Uttar pradesh news
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