नुमान अख्तर, आदिल रशीद और एहसान आलम को जमीन के एक ऐसे टुकड़े की तलाश है, जहां वे जानमाज़ बिछाकर शांति से जुमे की नमाज़ अदा कर सकें. पिछले पांच साल से वह नोएडा के सेक्टर 58 स्थित एक सार्वजनिक पार्क में हर शुक्रवार को नमाज़ पढ़ा करते थे, लेकिन अब जिला प्रशासन और नोएडा पुलिस ने
इसे रोकने के लिए नोटिस भेजा है.
अख्तर इसे लेकर कहते हैं, 'हम किसी से लड़ना नहीं चाहते, बस शांति से इबादत करना चाहते हैं.' अख्तर एक इमाम हैं, जो फरवरी 2013 से ही इस पार्क में जुमे की नमाज़ की पढ़ा रहे हैं. हालांकि जिला प्रशासन ने इस महीने की शुरुआत में नोटिस भेजकर
पार्क में नमाज पढ़ाए जाए के लिए मना कर दिया है.

नुमान अख्तर
वहीं सेक्टर 58 पुलिस थाने ने भी सोमवार को 23 निजी कंपनियों को नोटिस भेजकर अपने कर्मचारियों को स्थानीय पार्क में शुक्रवार की नमाज अदा करने से रोकने को कहा है. प्रशासन के इस फरमान के बाद यहां सेक्टर 57, 58, 59 और 60 के बाशिंदों के लिए जुमे की नमाज़ के लिए जमीन तलाशने की नई मुसीबत आन पड़ी है.
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इन्हीं लोगों में एहसान आलम भी शामिल हैं. वह सेक्टर 58 स्थित एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करते हैं और पिछले पांच साल से इसी पार्क में जुमे की नमाज पढ़ा करते थे. आलम सवालिया लहजे में कहते हैं, 'यह पांच किलोमीटर तक कोई मस्जिद नहीं है, नमाज़ पढ़ने के लिए हमारे पास यही पार्क था. अब हम कहां जाएंगे?'

सेक्टर 58 का सार्वजनिक पार्क
सेक्टर 58 स्थित इस पार्क के चारो ओर कई टेक कंपनियों और कपड़ा फैक्ट्रियां स्थित हैं. इन सभी कंपनियों के मुस्लिम कर्मचारी हर शुक्रवार इसी पार्क में नमाज पढ़ा करते हैं. हालांकि सेक्टर 58 के पुलिस स्टेशन ने 23 निजी कंपनियों को नोटिस भेजकर अपने कर्मचारियों को स्थानीय पार्क में शुक्रवार की नमाज अदा करने से रोकने को कहा है.
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थाना प्रभारी (एसएचओ) पंकज राय की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि इलाके में नोएडा प्राधिकरण के एक पार्क में प्रशासन की ओर से शुक्रवार को पढ़े जाने वाली नमाज सहित किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं है. इसमें कहा गया, 'आम तौर पर देखने में आया है कि आपकी कंपनी के मुस्लिम कर्मचारी पार्क में इकट्ठे होकर नमाज पढ़ने के लिए आते हैं. उन्हें एसएचओ की ओर से मना किया जा चुका है. उनके द्वारा दिए गए नगर मजिस्ट्रेट महोदय के प्रार्थना पत्र पर किसी भी प्रकार की कोई अनुमति नहीं दी गई है.'
नोटिस में कहा गया, 'आपसे यह उम्मीद की जाती है कि आप अपने स्तर पर अपने मुस्लिम कर्मचारियों को अवगत कराएं कि वे नमाज पढ़ने के लिए पार्क में न जाएं. अगर आपकी कंपनी के कर्मचारी पार्क में आते हैं तो यह समझा जाएगा कि आपने उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी है. इसके लिए कंपनी जिम्मेदारी होगी.'
आलम इसे लकेर कहते हैं, 'हमारे ऑफिस में भी नोटिस भेज दी. अब हम क्या कहीं नमाज़ ना पढ़ें?'
वहीं जिला मजिस्ट्रेट ब्रजेश नारायण सिंह और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय पाल शर्मा ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 2009 के आदेश में किसी भी धर्म की धार्मिक गतिविधियों के लिए सार्वजनिक स्थानों के अनाधिकृत इस्तेमाल पर स्पष्ट प्रतिबंध है और प्रशासन बस इसी आदेश को अक्षरश: लागू कर रहा है.
सिंह ने कहा, 'हम हर किसी से अनुरोध करते हैं कि सार्वजनिक स्थान पर किसी तरह की भी ऐसी गतिविधि या नयी गतिविधि करनी हो तो सबसे पहले प्रशासन की अनुमति लेनी होगी अन्यथा यह अवैध होगी.' वहीं नोटिस को प्रमाणिक बताते हुए उन्होंने कहा कि भविष्य में अगर इस तरह के मामले सामने आएंगे तो कानून के मुताबिक उनसे निपटा जाएगा.
जिला मजिस्ट्रेट इस इलाके में मस्जिद की कमी की बात स्वीकार करते हैं. हालांकि उनका कहना है कि यह एक अलग समस्या और इसका समाधान पर अलग तरह से किया जाना चाहिए. वह कहते हैं, 'हर किसी को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है. अगर मस्जिद बनवाने या नमाज के लिए किसी जगह के लिए आवेदन आता है तो इस पर विचार किया जाएगा.'
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Tags: Friday Prayer, Muslim, Namaz, Noida news, Uttar pradesh news
FIRST PUBLISHED : December 26, 2018, 04:59 IST