दंगे के 20 मुक़दमे और वापस लेने की अनुमति दे दी है. इसके लिए शासनादेश जारी हो चुका है. बता दें सरकार ने अब तक कुल 74 मुकदमों को वापस लेने की अनुमति दे चुकी है. शासन की तरफ से जिन मुकदमों की वापसी की अनुमति दी गई है वे पुलिस और पब्लिक की तरफ से दर्ज कराए गए थे. ये सभी केस आगजनी, लूट, डकैती आदि धाराओं के हैं.
एडीएम प्रशासन अमित कुमार सिंह ने बताया कि शासन की ओर से 20 मुक़दमे वापस लेने की अनुमति के शासनादेश आए हैं. इन मुकदमों की पत्रावली प्रशासन की ओर से जिला अभियोजन अधिकारी और जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी को भेज दी गई है.
बता दें पिछले वर्ष से मुजफ्फरनगर दंगे में मुक़दमे वापस लेने की कार्रवाई योगी सरकार ने शुरू की थी. लोकसभा चुनाव से पहले आठ मार्च को सात शासनादेश आए थे, जिनमे 48 मुक़दमे वापस लेने की अनुमति मिली थी. पांच मुक़दमे कोर्ट में निस्तारित हो चुके हैं, जबकि एक में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी है. अब चुनाव के बाद तीन और शासनादेश जारी कर 20 मुकदमों को वापस लेने की अनुमति दी गई है. इसमें सबसे ज्यादा मुक़दमे फुगाना थाने का है. इसके अलावा भौराकलां, जारसठ, नई मंदी और शहर कोतवाली में दर्ज मुक़दमे भी शामिल हैं.
गौरतलब है कि पिछले साल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानूनी सलाह लेने के बाद मुआद्मे वापस लेने का आश्वासन दिया था. दरअसल बीजेपी सांसद संजीव बालियान ने मुख्यमंत्री से मिलकर मुक़दमे वापसी की गुजारिश की थी. संजीव बालियान का आरोप है कि दंगों के दौरान कुल 402 फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए. उनके मुताबिक, इन मुकदमों में 856 निर्दोष लोगों को फंसाया गया. इनमे 9 मुकदमे ऐसे थे, जिसमें 100 महिलाओ समेत 250 लोगों को आरोपी बनाया गया.
बता दें कि समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार के दौरान पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर में भीषण दंगा हुआ था. मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों में अगस्त-सितंबर 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगे में 60 लोग मारे गए थे और 40 हजार से अधिक लोग बेघर हुए थे. मुजफ्फरनगर दंगो के दौरान कुल 502 मुकदमे दर्ज किये गए थे जिसमे 6867 लोग आरोपी बताये गये थे.
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FIRST PUBLISHED : July 24, 2019, 08:48 IST