प्रयागराज. उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी की मीट फैक्ट्री के ध्वस्तीकरण के मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई टल गई है. अब अगले हफ्ते इस मामले की सुनवाई हो सकती है. दरअसल मेरठ विकास प्राधिकरण और जिला प्रशासन ने 31 मार्च को याकूब कुरैशी की मीट फैक्ट्री ‘अल फहीम मीटेक्स प्राइवेट लिमिटेड’ पर छापेमारी की थी, जिसमें करीब 5 करोड़ रुपये का कच्चा मांस पकड़ा गया था. इसके बाद मेरठ विकास प्राधिकरण ने इस फैक्टरी को ध्वस्त करने का आदेश पारित किया था.
मेरठ प्रशासन के इस आदेश के खिलाफ हाजी याकूब ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच ने याकूब की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 10 मई तक ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी थी. वहीं याकूब कुरैशी के वकील कोर्ट में इस अवधि को बढ़ाने के लिए अर्जी देंगे.
बता दें कि यूपी सरकार के अधिकारियों ने 31 मार्च, 2022 को मेरठ में कुरैशी के परिसरों पर छापा मारने के दौरान हड्डियों के साथ भारी मात्रा में मांस खुले में पड़ा मिला. ये मांस सुरक्षित नहीं रखे गए थे और इनसे बहुत बदबू आ रही थी, जिससे लोगों को बड़ी असुविधा हो रही थी.
इस संबंध में मेरठ के खरखौदा थाने में हाजी याकूब कुरैशी और उनके परिवार वालों समेत 14 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई गई और मौके से 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में याकूब के साथ उनकी पत्नी संजीदा बेगम और बेटे इमरान व फिरोज के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हुई थी.
एफआईआर में आरोप है कि याकूब कुरैशी की मीट फैक्टरी बिना कोई वैध लाइसेंस के पहले से स्टोर किए गए मांस के प्रसंस्करण में लिप्त थी और साथ ही पहले से प्राप्त लाइसेंस की मियाद खत्म होने के बाद भी वहां ताजा मांस लाया जा रहा था.
वहीं इस मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगाने और एफआईआर रद्द के लिए भी याकूब ने हाईकोर्ट में याचिका दी थी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें इस संबंध में राहत देने से इनकार कर दिया था.
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